योगी सरकार की मुहिम ला रही रंग, रोजगार की ओर बढ़ रहे महिलाओं के कदम, स्वयं सहायता समूह से रोजगार की राह पर महिलाएं, छोटे सी पूंजी से हुई शुरूवात अब लगे आमदनी को पंख
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रोजगार से महिलाओं को जोड़ने वाली योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं की जिन्दगी में बदलाव ला दिया है। महिलाएं कह रही हैं कि अभी तो मुठ्ठी भर नापी है जमीं, अभी तो पूरे आसमां में उड़ान बाकी है। महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं।
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कोरोना काल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी लोगों की मदद करने के लिए नई योजनाओं को प्रदेश में लागू किया। जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वंय सहायता समूहों का गठन किया गया। जिससे यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है। इस दिशा में लखनऊ के निगोहा के मीरखनगर ग्राम पंचायत मजरा भैरमपुर की महिलाएं घर की दहलीज को लांघकर खुद को साबित कर रही हैं। स्वयं सहायता समूहों की आमदनी की बदौलत परिवार की किस्मत चमकाने में जुटी यह महिलाएं बेटियों को तालीम दिलाकर कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में लगी हैं। जैविक खेती, पशुपालन से लेकर दूसरी महिलाओं को रोजगार दिलाने वाली निगोहां के भैरमपुर की महिला आर्मी दूसरी पंचायतों के लिए मिसाल बन गई हैं। बता दें कि मीरखनगर की आबादी 3500 और भैरमपुर की आबादी 1000 है।
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अभी तो पूरे आसमां में उड़ान बाकी है
जैविक खेती कर गांव में बिखेरी खुशहाली: स्वयं सहायता समूहों की ये महिलाएं जैविक खेती कर गांव में खुशहाली बिखेर रही हैं। खेती करने के तरीके में इन महिलाओं ने न सिर्फ बदलाव लाए बल्कि अब दोगुनी तेजी से ये फसल उगा रही हैं। इस काम से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सब्जियां उगाने से लेकर पारम्परिक खेती करने तक हम लोग अधिकतर जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को ध्यान रखते हुए शुरू की गई योजनाओं का लाभ हम लोगों को मिला है। हम लोगों ने 80 महिलाओं के समेह का गठन कर छोटी सी पूंजी संग काम की शुरूवात की थी तब 40 रुपए प्रतिदिन की कमाई होती थी पर आज कोराना काल के संकट के बावजूद स्वंय सहायता समूह के बल पर 160 महिलाओं की टीम लगभग 200 से 300 रुपए की प्रतिदिन आमदनी कर रही हैं।
गांव की बेटियां करने लगी एमबीए नर्सिंग कोर्स की पढ़ाई : उमेश कुमारी ने बताया कि योगी सरकार की योजनाओं की बदौलत अब गांव की सूरत में बदलाव आया है। पहले जहां चूल्हे एक दो दिन तक ठंडे रहते थे वहीं अब योजनाओं के कारण आमदनी कर परिवार को बेहतर जीवन स्तर मिल रहा है। इतना ही नहीं वो बताती है कि गांव में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने बेटियों को सुरक्षा का पाठ पढ़ाने संग सम्मान से जीने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वो बताती हैं कि गांव की कुछ बेटियां एमबीए और नर्सिंग कोर्स भी कर रही हैं।
दिवाली के लिए तैयार कर रहीं डिजाइनर मोमबत्तियां : आत्मनिर्भर और सशक्त बनने की दिशा में अग्रसर ये महिलाएं पेटिंग, साड़ी की प्रीटिंग, साड़ी की डिजाइनिंग से लेकर परिधानों में रंग भरकर अपनी जिन्दगी में खुशहाली के रंग भर रही हैं। दिवाली पर डिजाइनर मोमबत्तियां भी तैयार कर रही महिलाओं ने कहा कि इन सभी कामों से हम लोगों की रोज आमदनी हो रही है।