कृषि बिल की वापसी : किसी ने बताया मोदी का बड़प्पन, तो किसी ने कहा चुनाव हितैषी फैसला

बुन्देखण्ड में महोबा व महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व, देव दीपावली और गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा कर दी। इस फैसले को लोग अलग-अलग तरीके बताने में जुटे हुए हैं। किसानों ने इसे मोदी का किसानों के प्रति लगाव व बड़प्पन बताया तो विपक्षी दलों ने इसे चुनाव हितैषी फैसला करार देते हुए सरकार को बैक फुट पर बताया।

धन्यवाद मोदी जी

किसान रक्षा पार्टी के अध्यक्ष गौरीशंकर बिदुआ ने इसे किसानों की जीत बताते हुए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों की वापस लेने की घोषणा आज की है, यह हम किसानों की बहुत बड़ी जीत है। उन्होंने आने वाले संसद सत्र में कानून वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की जो बात कहीं है, बस अब उसे निभायें। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री ने जो कहा है वह उस पर अमल करेंगे। इस फैसले के लिए मैं मोदी जी को धन्यवाद देता हूं। सरकार के किसान हित में लिए गये इस बड़े फैसले का जश्न हम धरना स्थल पर भी मनायेंगे।

प्रधानमंत्री के फैसले राष्ट्र हित में

राष्ट्रीय मंत्री भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा रामनरेश तिवारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव राष्ट्रहित के लिए ही काम करते हैं। किसानों के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले प्रधानमंत्री ने आज अन्नदाता के हितों को सोचते हुए हैं। यह निर्णय लिया होगा और उनका निर्णय हमेशा राष्ट्र के हित में होता है। ऐसे ऐतिहासिक निर्णय केवल मोदी जी ही ले सकते हैं। उन्होंने इसे उनका बड़प्पन बताया।

किसानों की हुई जीत

किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण परिहार ने इसे किसानों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि भले ही किसानों को गलत ठहराया जा रहा था, लेकिन किसानों ने जो इतनी लंबी लड़ाई लड़ी है। अंततः भाजपा सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े और किसानों की जीत हुई।

प्रशंसा योग्य कदम पर मंशा अभी साफ नहीं

समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव व पूर्व एमएलसी तिलक चन्द अहिरवार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानून जिन्हें हम काले कानून कहते थे,सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस लिए हैं, यह प्रशंसा योग्य कदम तो है, लेकिन उनकी मंशा अभी भी ठीक नहीं है।सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश के नेतृत्व में किसानों की आवाज उठाई गई। इस फैसले के साथ सरकार बैकफुट पर आई है। अभी हाल ही में जो चुनाव संपन्न हुए हैं और पूरे देश में भाजपा का जिस प्रकार से पतन हुआ है। भाजपा से घबरा गई है इसीलिए पेट्रोल और डीजल की कीमत को 12 रुपये कम करने का काम किया गया और अब 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने घबराकर किसानों के हित में यह फैसला किया है।

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सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया

कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले को चुनाव हितैषी फैसला बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने काले कानून तो वापस ले लिए हैं लेकिन जो 700 किसान इस दौरान आंदोलन में अपनी जान गवा चुके हैं, उनका क्या? उनके परिजनों के लिए 55 करोड़ का मुआवजा दिया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री द्वारा पूरे देश से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी जानी चाहिए। उन्होंने किसानों के साथ यह बड़ा गुनाह किया है।