अपने बेबाक बयानों के लिए लोकप्रिय शिवसेना नेता संजय राउत ने अब दावा किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने ‘उद्धव ठाकरे कौन हैं’ पर चर्चा करने के लिए एक सम्मेलन किया था. कथित तौर पर नागपुर में संजय राउत के भाषण का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. भारतीय जनता पार्टी के नेता तो इसका जमकर आनंद लेते हुए संजय राउत की तुलना कॉमेडियन कपिल शर्मा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से कर रहे हैं. हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब संजय राउत ने बड़बोलेपन का परिचय दिया है. इसके पहले भी अपने बेतुके और अजीब-ओ-गरीब बयानों से सुर्खियों में रहे हैं.
एकनाथ शिंदे पर तंज या बड़बोलापन
इस वायरल वीडियो में संजय राउत ने दावा किया कि दुनिया के तीनों नेताओं ने पूछा, ‘यह उद्धव ठाकरे कौन है जो पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों हार मानने से इनकार करता है?’ उन्होंने आगे कहा, ‘उन्हें यह भी आश्चर्य है कि उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ कैसे लड़ रहे हैं. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने भी उद्धव ठाकरे के बारे में पूछताछ की.’ शिवसेना सांसद ने नागपुर में यह भी दावा किया, ‘सभी नेताओं की सोच है कि पीएम मोदी ने कभी उद्धव ठाकरे का परिचय क्यों नहीं दिया?’ हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि संजय राउत इस तरह कुछ दिन पहले एकनाथ शिंदे के नागपुर में ही दिए बयान पर तंज कस रहे थे. एकनाथ शिंदे ने कुछ दिन पहले नागपुर में कहा था कि बिल क्लिंटन ने अपने साथ रहने वाले एक भारतीय से उनके बारे में पूछा था
बागी विधायकों को जीवित लाशें करार दिया था
संजय राउत अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. इससे पहले जून में शिंदे गुट की बगावत पर भी राउत बागी विधायकों पर जमकर बरसे थे और उन्हें ‘जीवित लाशें’ करार देकर कहा था कि उनकी ‘आत्माएं मर चुकी हैं.’ उन्होंने तब कहा था, ‘गुवाहाटी में 40 विधायक जिंदा लाश हैं, उनकी आत्मा मर चुकी है. वापस आने पर उनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए सीधे विधानसभा भेजा जाएगा.’ राउत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि वे जानते हैं कि यहां जो आग लगाई गई है उसमें क्या हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ को भी नहीं बख्शा था संजय ने
इसी तरह 2020 में जब कोविड-19 संक्रमण का कहर अपने चरम पर था राउत ने दावा किया कि कंपाउंडर के पास डॉक्टर से अधिक चिकित्सा ज्ञान है. यही नहीं, वह यहां तक कह गए कि वह डॉक्टर की तुलना में कंपाउंडर से दवा लेना पसंद करते हैं. कोरोना संकट पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का मज़ाक उड़ाते हुए डब्ल्यूएचओ को ही कोरोना संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया था. तब भी उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे डब्ल्यूएचओ के सलाहकार बनने के लायक हैं.