देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को यूं ही विश्व का प्रिय नेता नहीं कहा जाता। वह जहां भी जाते हैं अपनी छाप छोड़ जाते हैं। बुंदेलखंड की हृदय स्थली कहीं जाने वाली वीरांगना भूमि झांसी में भी उन्होंने बुंदेली भाषा में महारानी लक्ष्मी बाई को नमन करते हुए लोगों का मन मोह लिया। इस दौरान उन्होंने महोबा के आल्हा उदल और चंदेलों समेत बुंदेलों को भी नमन किया।
झांसी के ऐतिहासिक दुर्ग की तलहटी में तीन दिवसीय राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व के समापन समारोह प्रगतिशील उद्घोषणा समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन का शुभारंभ बुंदेली भाषा से किया। उन्होंने कहा कि जौं धरती पै हमाई रानी ने आजादी के लाने सबई न्यौछावर कर दओ। इतै की माटी के कण कण कण में वीरता और देश प्रेम बसों है। बाईजू खों हमाओ कोटि कोटि नमन।
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आगे बोले कि इस शौर्य भूमि पर कदम पड़ते ही कौन होगा जिसके शरीर में बिजली न दौड़े। कौन होगा जिसे रणचण्डी के दर्शन न हों। और आज तो हमारी रानी का जन्मदिवस भी है। आज इस धरती पर एक नया,सशक्त व सामर्थ्यशाली भारत आकार ले रहा है। मैं यहां आकर कैसा महसूस कर रहा हूं मैं इसकी व्याख्या शब्दों में नहीं कर सकता।राष्ट्रभक्ति का जो जवाहर मेरे अंदर उमड़ रहा है वह वह बुंदेलखंड यूं की ऊर्जा का ही परिणाम है। मैं जाग्रत चेतना को महसूस कर रहा हूँ। और झांसी को बोलते सुन भी रहा हूँ। मैं तीर्थ स्थली वीरों की, मैं क्रांतिकारियों की काशी। मैं हूं झांसी,मैं हूं झांसी मैं हूं झांसी। मुझ पर मां भारती का अनंत आशीर्वाद है। मैं काशी का प्रतिनिधित्व भी करता हूँ। इसलिए मुझे अपनापन लग रहा है। वीर वीरांगनाओं की धरा इस बुन्देलखण्ड को प्रणाम करता हूं। आज गुरु नानक का प्रकाश पर्व है तो काशी में, देव दीपावाली की धूम है। काशी अद्भुत होती है।पिछले साल इस अवसर पर काशी में था आज राष्ट्र रक्षा पर्व के अवसर पर झांसी में हूं। मैं झांसी की धरती से काशी के लोगों को नमन करात हूं। मैं चन्देलों और बुन्देलों को आल्हा ऊदल के बलिदान को नमन करता हूं।