तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए केन्द्र की भाजपानीत सरकार पर हमला किया है। तृणमूल ने अगले संसद सत्र में इस अध्यादेश का विरोध करने के लिए सभी विपक्षियों को एकजुट करने का आह्वान किया है। इससे संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने की संभावना है।
सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर एक अध्यादेश के जरिए सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने की आलोचना की है। उन्होंने केंद्र सरकार पर “निर्वाचित निरंकुशता” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि तृणमूल संसद में विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर इसके खिलाफ आवाज उठाएगी।
ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, “निर्लज्जता से लाए गए दो अध्यादेशों में ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया। संसद का शीतकालीन सत्र दो सप्ताह में शुरू होने वाला है। आश्वस्त रहें, विपक्षी दल भारत को निर्वाचित तानाशाही में बदलने से रोकने के लिए सबकुछ करेंगे।”
ट्वीट में ओ ब्रायन ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट की सीबीआई के लिए “पिंजरे में बंद तोते” वाली टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि पहले दो और फिर पांच तोतों के स्टिकर का भी इस्तेमाल किया।
तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस बार संसद में महंगाई, किसानों का प्रदर्शन और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने जैसे मुद्दे भी उठा सकती है। इसके अलावा पार्टी की बैठक के दौरान अन्य विपक्षी खेमों के साथ सदन में समन्वय की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा तृणमूल संसद में पेगासस मामला की उठाएगी। सत्र से पूर्व पार्टी सुप्रीमो एवं संसदीय दल की अध्यक्ष ममता बनर्जी की अगुवाई में होने वाली बैठक में रणनीति तय की जाएगी।
दिल्ली हिंसा : शरजील इमाम की जमानत याचिका पर 20 को फैसला सुनाएगा कोर्ट
इस मामले में लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने सवाल उठाया कि जब संसद का शीतकालीन सत्र होने वाला था तो केंद्र सरकार को अध्यादेश लाने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी। हम संसद में यह मामला उठाएंगे।
उल्लेखनीय है कि संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक आयोजित करने की अनुशंसा की है।