राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने बुधवार की देर रात जब सब लोग सो रहे थे, तब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के देशभर में कई ठिकानों पर छापे मारे। आधी रात को ही इस विवादित संगठन के सौ से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। एनआईए के साथ-साथ ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी भी इस छापेमारी में शामिल रहे।
जिन 13 राज्यों में यह कार्रवाई हुई उसमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र्र और असम शामिल हैं। इस कार्रवाई में पीएफआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमा सलाम के अलावा इसके दिल्ली में शाहीन बाग स्थित मुख्यालय का चीफ परवेज अहमद को भी हिरासत में लिया गया है।
जुलूस निकालकर आरएसएस की ड्रेस पहने लोगों को जंजीर से बंधा दिखाया गया था
अब आपको इस विवादित संगठन की कुछ करतूतें बताते हैं, जिनको लेकर इसे संदिग्ध और आतंकी घोषित करते हुए प्रतिबंधित किए जाने की मांग लंबे समय से हो रही है। दरअसल, इस संगठन पर आरोप है कि बीते मई महीने में एक बच्चे से भड़काऊ नारे लगवाए थे। यह मामला कई दिनों तक सुर्खियों में रहा था और पुलिस ने केरल में करीब दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया था। केरल हाईकोर्ट और एनसीपीसीआर ने भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। इससे पहले इस संगठन के लोगों ने केरल के चेलारी में एक जुलूस निकाला था, जिसको लेकर काफी बखेड़ा खड़ा हो गया था। इस जुलूस में संगठन के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ड्रेस पहने कुछ युवकों को जंजीर से बंधे हुए दिखाया था। इस संगठन के लोगों पर आरोप है कि उन्होंने क्रूर तरीके से हिंदू संगठन से जुड़े कुछ लोगों की हत्या की है। इसके अलावा, दिल्ली में सीएए-एनआरसी के प्रदर्शन में भी इस संगठन के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यूपी के हाथरस में हिंसा भड़काने और कर्नाटक तथा अन्य राज्यों में हिजाब का मुद्दा गरमाने में भी इस संगठन के लोग आगे रहे हैं।
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केरल के कन्नूर जिले में दी जा रही थी खास ट्रेनिंग
चौंकाने वाला एक और जो मामला है, वो ये कि इस संगठन के लोगों ने तब चर्चा में रहे आतंकी संगठन आईएसआईएस की तर्ज पर 2016 में केरल के कन्नूर में अल जरूल खलीफा नाम का समूह बनाया। इसमें शामिल लोगों को केरल के कन्नूर जिले में खास ट्रेनिंग दी जा रही थी, जिसमें विस्फोटक और हथियार चलाना भी शामिल था। दावा किया जा रहा है कि इस ट्रेनिंग के जरिए देश के खिलाफ जंग छेड़ने और विभिन्न समुदायों को आपस में लड़ाकर दंगा-फसाद करने की तैयारी थी।