कंगाली की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान के इतने बुरे हालात हो चुके हैं कि यहां इस बार रमजान में इफ्तार के बाद लोग अच्छा खाने के लिए तरस जाएंगे। एक ओर जहां 12 घंटे के रोजा के बाद लजीज व्यंजनों से इफ्तार किया जाता है तो वहीं मिडिल क्लास से लेकर लोअर क्लास के लोग दाने-दाने का मोहताज हाे जाएंगे। इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों की नौकरी चली जाना या छोटे-मोटे व्यापारों का भी बंद हो जाना।
पाक सरकार को देनी होगी राहत
रमजान का पाक त्योहार 23 मार्च से शुरू होकर 21 अप्रैल तक चलेगा। ऐसे में इस पाक महीने के दौरान पाकिस्तान सरकार को लोगों को खानपान की चीजें सस्ते दामों में उपलब्ध करानी चाहिए। हालांकि, ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान सरकार अंदरूनी राजनीति और झगड़ों को सुलझाने में ही लगी हुई है और उसे IMF से लोन मिलने की आस अभी भी है।
चीजें सस्ती करना इतना आसान नहीं
वर्तमान परिस्थितियों में पाकिस्तान सरकार खानपान से लेकर किसी भी वस्तु में सब्सिडी या टैक्स कटौती नहीं कर सकती। क्योंकि सरकार ने अगर ऐसी कोशिश की तो IMF से उसे आगे लोन मिलना और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही खानपान की चीजों 10 से 20 प्रतिशत की कटौती से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। दामों को कम करने के लिए कम से कम 30 से 40 प्रतिशत की कटौती करनी होगी।
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व्यापारियों ने कही ये बात
यहा थोक में चिकन बेचन वाले व्यापारी ने कहा कि हमने पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम मुर्गों का स्टॉक रखा है। हमने सिर्फ 4 क्रेट में मुर्गे रखे हैं क्योंकि चिकन के रेट बहुत ज्यादा होने से लोग इसे कम खरीद रहे हैं। हमारे डेली कस्टमर जो हर दिन कम से कम 3-4 मुर्गे खरीद लेते थे, वे भी कम आ रहे हैं और एक से ज्यादा मुर्गा नहीं ले रहे। इसी प्रकार एक किराना व्यापारी ने बताया कि उससे उधार राशन ले जाने वाले लोगों में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई और पैसे न होने से ज्यादा से ज्यादा लोग उधार में सामान लेना चाहते हैं।