पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को लेकर भारत ने पाकिस्तान पर बड़ा आरोप लगाया है। भारत ने पाकिस्यान पर यह आरोप गुरुद्वारे का नियंत्रण गैर-सिख निकाय को देने को लेकर लगाया है। भारत का कहना है कि यह अधिनियम सिख धर्म और उसकी सुरक्षा के खिलाफ है। भारत की ओर से यह आरोप भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने लगाए।
पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने खोला मोर्चा
आपको बता दें कि बीते वर्ष पाकिस्तान ने शांति के लिए पारस्परिक और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा, समझ और सहयोग देने के लिए प्रस्ताव लाया था। इस प्रस्ताव में भारत के डेरा बाबा नानक साहब गुरुद्वारे को पाकिस्तान में पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने वाले करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया था, ताकि सिख भक्तों के लिए इस यात्रा को आसान बनाया जा सके। इसे शांति के लिए पारस्परिक और परस्पर सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक पहल कहा गया।
हालांकि, पिछले महीने पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से पवित्र मंदिर का नियंत्रण छीन लिया और इसे इवाकु ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को सौंप दिया गया।
महासभा में शांति की संस्कृति पर बहस के दौरान शर्मा ने कहा कि पाकिस्तान ने पिछले साल पारित किए गए संस्कृति के शांति के पहले प्रस्ताव का उल्लंघन किया है, जो कि करतारपुर तीर्थ के प्रबंधन को मनमाने ढंग से गैर-प्रशासनिक नियंत्रण में स्थानांतरित कर रहा है। यह अधिनियम सिख धर्म और उसकी सुरक्षा के खिलाफ है।
पाकिस्तान ने फिलीपींस के साथ मिलकर इस साल फिर से करतारपुर साहिब का उल्लेख करते हुए एक बार फिर से प्रस्ताव पेश किया है और इसे 90 मतों के साथ पारित किया गया। वहीं 52 मत देने वाले लोग अनुपस्थित रहे।
इस साल के प्रस्ताव में कहा गया है कि महासभा पड़ोस के साथ अंतरजातीय सद्भाव और शांतिपूर्ण भावना के तहत करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने की पहल का स्वागत करती है, और तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के अनुमति देने के लिए भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच समझौते की सराहना करती है।
शर्मा ने कहा कि यदि पाकिस्तान भारत में धर्मों के खिलाफ नफरत की अपनी मौजूदा संस्कृति को बदलता है और अपने सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने लोगों का समर्थन करना बंद करता है, तो हम दक्षिण एशिया और उसके बाहर शांति की वास्तविक संस्कृति का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन कब तक हम पाकिस्तान के सामने मूकदर्शक बने रहेंगे, जो धमकी, जबरदस्ती, धर्मांतरण और हत्याओं के जरिए अपने देश से अल्पसंख्यकों को भगा रहा है।
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शर्मा ने शांति की संस्कृति के लिए की गई कार्रवाई पर धर्मों के व्यापक स्पेक्ट्रम का प्रतिनिधित्व करने वाले बांग्लादेश द्वारा प्रस्तावित एक अन्य प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे 10 देशों ने भी समर्थन दिया। शर्मा ने कहा कि भारत भी इसे सह-प्रायोजित करेगा।