देश में कोरोना महामारी को लेकर मचे हाहाकार के बीच विपक्षी पार्टियां लगातार केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर निशाना साध रही हैं। इसी क्रम में इस बार सभी विपक्ष पार्टियों ने एकजुट होकर मोदी सरकार के सामने अपनी मांगों की एक बड़ी फेहरिस्त पेश की है। 12 विपक्षी पार्टियों द्वारा पेश की गई इस फेहरिस्त में नौ प्रमुख मुद्दों को हथियार बनाया गया है। हालांकि, इन विपक्षी पार्टियों को आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल और बसपा मुखिया मायावती का साथ नहीं मिला है।
मोदी सरकार को विपक्ष ने भेजा पत्र
दरअसल, कोरोना संकट के बीच 12 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर प्रधानमंत्री मोदी को को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने 9 प्रमुख मुद्दों को उठाते हुए मांगी की है। इस पत्र में विपक्ष ने कोरोना वैक्सीनेशन से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक सेंट्रल विस्टा तक का मुद्दा उठाया है।हालांकि मायावती और अरविन्द केजरीवाल ने इस पूरे मामले से खुद को अलग रखा है।
विपक्षी दलों की तरफ से लिखे गए इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से यह कहा गया कि बजट में आवंटित 35,000 करोड़ का इस्तेमाल वैक्सीन के लिए मोदी सरकार करे। देशभर में तुरंत एक नि:शुल्क, सार्वभौमिक सामूहिक वैक्सीनेशन अभियान भी केन्द्र सरकार की तरफ से शुरू किया जाए। इसके साथ ही, ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन, ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरणों की खरीद के लिए प्राइवेट ट्रस्ट फंड की बेनामी संपत्तियों और पीएम केयर्स फंड के पैसे जारी किए जाएं।
विपक्षी दलों ने पत्र में आगे लिखा है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य को रोका जाए। इसकी जगह पर उन आवंटित पैसों को ऑक्सीजन और वैक्सीन की खरीद के लिए खर्च किया जाए। पत्र में विपक्षी दलों ने कहा- लाखों ‘अन्नदाताओं’ को महामारी की चपेट में आने से बचाने के लिए नए कृषि कानूनों को निरस्त कीजिए। सभी बेरोजगार लोगों को 6 हजार रुपये प्रति महीने दीजिए, जरूरतमंदों को नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराएं।
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विपक्षी दलों के जिन नेताओं ने पीएम मोदी को पत्र लिखा उनमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, एचडी देवगौड़ा, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, जेएमएम चीफ हेमंत सोरेन, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, डी। राजा और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी शामिल हैं।