लोकसभा में बाद अब राज्यसभा में भी संविधान पर चर्चा के दौरान सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है। ऐसी ही एक जंग सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई। केंद्रीय मंत्री ने जहां संविधान पर चर्चा के दौरान जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस सरकार के अन्य पुराने नेताओं पर निशाना साधा। वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उनपर जमकर पलटवार किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा- कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को लेकर बोला हमला
संविधान पर चर्चा एक दौरान, कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सहित देश की सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेताओं पर हमला किया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लाए गए संवैधानिक संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करने वाले भारत ने पहली अंतरिम सरकार को भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए संविधान संशोधन करते देखा, और वह भी संविधान को अपनाने के एक वर्ष के भीतर।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- केंद्रीय मंत्री की हिंदी-इंग्लिश अच्छी लेकिन कर्म बुरे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान पर सीतारमण की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी भाषा तो अच्छी है, लेकिन उनके कर्म अच्छे नहीं हैं।
राज्यसभा में बहस में हिस्सा लेते हुए खड़गे ने कहा कि मुझे केंद्रीय मंत्री से कहना है कि मैं भी पढ़ना जानता हूं। मैं नगर पालिका स्कूल में पढ़ा हूं, वह ( निर्मला सीतारमण ) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ी हैं, यह तय है कि उनकी अंग्रेजी अच्छी होगी, उनकी हिंदी अच्छी होगी, लेकिन कर्म अच्छे नहीं हैं।
इसके अलावा, उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जो लोग संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और अशोक चक्र से नफरत करते हैं, वे इस पुरानी पार्टी को सिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
खड़गे ने कहा- भाजपा और आरएसएस ने किया संविधान का विरोध
खड़गे ने कहा कि यह क्या है? जब यह संविधान बनाया गया था, ये लोग संविधान को जलाते हैं। जिस दिन संविधान अपनाया गया, उसी दिन उन्होंने रामलीला मैदान (दिल्ली में) में बाबासाहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के पुतले जलाए।
उन्होंने कांग्रेस का बचाव करते हुए कहा कि कई शक्तिशाली देशों में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार नहीं था। महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। उस समय इस महान पुरानी पार्टी और संविधान ने राष्ट्र को ये अधिकार दिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ (अब भाजपा ) ने इसका विरोध किया।
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खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि संविधान सभा की बहस से यह स्पष्ट है कि आरएसएस के पूर्ववर्ती नेता संविधान के खिलाफ थे।