कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने कई ऐसे किसान संगठनों को आड़े हाथों लिया है, जिनपर खालिस्तानी संगठनों से संपर्क का शक है। इसी क्रम में बीते दिनों एनआईए ने किसान नेताओं को नोटिस भी थमाई थी। हालांकि, इस बात को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है।
कांग्रेस नेता ने एनआईए की नोटिस को बताया भाजपा की चाल
पंजाब के कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने रविवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो किसान पूरे देश को अपने खून, पसीने से सींचता है, उसे ऐसे धमकी से झुकाया नहीं जा सकता। यह नई दिल्ली में सत्तारूढ़ सरकार के लिए बहुत महंगा साबित होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि एनआईए द्वारा नोटिस दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा एक कुटिल चाल का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए सरकार के पिछले साढ़े छह साल के कार्यकाल में यह पहली बार नहीं है कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उनकी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है।
वर्तमान दौर को भारत के लोकतंत्र के लिए सबसे अंधकारमय करार देते हुए कांग्रेस नेता रंधावा ने कहा कि संवैधानिक संस्थानों और स्वतंत्र सरकारी एजेंसियों का संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि भाजपा अपने विरोधियों को डराने के लिए हथकंडे अपनाती है और अब यह नया शैतानी कदम उनके लिए एक आपदा साबित होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राज्य सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी रहेगी और इस तरह की निरंकुश रणनीति का विरोध करेगी। केंद्र के पास इन काले कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
दरअसल, एनआईए आजकल उन गैर सरकारी संगठनों की फेहरिस्त तैयार कर रही है जिनके तार खालिस्तानी संगठनों से जुड़े होने की आशंका है। एनआईए ने ऐसे संगठनों की जांच भी कर रही है जिन्हें खालिस्तानी संगठनों की ओर से फंड मिला है। एनआईए सूत्रों का दावा है कि सिख फॉर जस्टिस जैसे खालिस्तानी संगठन भारत में गैर सरकारी संगठनों को आतंक फैलाने के लिए उकसाने के लिए धन मुहैया करा रहे हैं।