पश्चिम बंगाल में भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रस्तावित पांच रथयात्राओं को लेकर नया सियासी ड्रामा देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां सूबे की सत्तारूढ़ ममता सरकार ने इन रथयात्राओं को एक साथ अनुमति देने से इनकार कर दिया है और रथ यात्राओं के खिलाफ पीआईएल भी दायर कर दिया गया है। वहीँ, दूसरी तरफ बीजेपी हर कीमत पर यह रथ यात्रा निकालने के लिए अमादा है।
रथयात्राओं को लेकर ममता सरकार पर भड़के विजयवर्गीय
ममता सरकार के हस्तक्षेप के बाद बीजेपी बंगाल प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने साफ़ तौर पर कहा है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीजेपी की रथ यात्राओं पर रोक नहीं लगाई है। इसलिए बंगाल प्रशासन इसे रोक नहीं पाएगी।
दरअसल, बीजेपी ने शनिवार से करीब एक महीने तक चलने वाली पांच रथ यात्राओं को निकालने की योजना बनाई है। इसकी समग्र अनुमति के लिए राज्य के मुख्य सचिव अलापन बनर्जी के पास बीजेपी की ओर से चिट्ठी दी गई थी लेकिन बनर्जी ने रथयात्राओं की अनुमति देने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर छोड़ दी है ।
इधर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक पीआईएल दाखिल हुई है जिसमें बीजेपी की रथयात्राओं के दौरान कानून व्यवस्था की समस्या और कोविड-19 महामारी से बचाव के प्रावधानों के उल्लंघन की आशंका जताते हुए रथयात्राओं पर रोक लगाने की मांग की गई है। फिलहाल यह याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।
इस बारे में पूछने पर विजयवर्गीय ने कहा कि हाईकोर्ट ने बीजेपी की रथयात्राओं पर रोक नहीं लगाई है इसलिए जिला प्रशासन इसे रोक नहीं सकेगा। विपक्षी पार्टी के रूप में हमारा मौलिक अधिकार है कि हम लोगों के बीच पहुंचे। इसलिए 6 फरवरी को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहली रथयात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे और 11 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कूचबिहार में दूसरी रथ यात्रा में शामिल होंगे।
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महीने भर चलने वाली इस रथयात्रा में बीच-बीच में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भी बंगाल आने और शामिल होने की संभावना है। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पहले भी कह चुके हैं कि अगर ममता बनर्जी की सरकार रथ यात्राओं को अनुमति नहीं देती है तो इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।