भारत में खेलों के एक नए युग की शुरुआत करेगा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक : रिजिजू

 नयी दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू  का मानना है कि सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में पेश होने वाला राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक भारत में खेलों के लिए एक नये युग की शुरूआत करेगा। रिजिजू 2019 से 2021 के बीच दो वर्षों के लिए केंद्रीय खेल मंत्री रहे थे। वह मौजूदा खेल मंत्री मनसुख मांडविया के उन पूर्ववर्तियों में शामिल है, जिन्होंने देश के खेल प्रशासकों  और अन्य हितधारकों से बात करके विधेयक के लिए आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 अरुणाचल पश्चिम से लोकसभा सांसद 53 वर्षीय रिजिजू ने कहा कि वह इस विधेयक के शीघ्र ही कानून बनने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा,खेल समुदाय के लिए यह एक ऐतिहासिक विधेयक है। मैं प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने खेलों के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए ऐसा दूरदर्शी विचार रखा है। इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) में सुशासन के लिए एक ढांचा तैयार करना है।
इसमें एक नियामक बोर्ड के गठन का भी प्रावधान है, जिसके पास अच्छे प्रशासन से संबंधित प्रावधानों के अनुपालन के आधार पर एनएसएफ को मान्यता प्रदान करने तथा वित्त पोषण का फैसला करने का अधिकार होगा। नियामक बोर्ड उच्चतम प्रशासनिक, वित्तीय और नैतिक मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार होगा। एनएसएफ को कई वर्षों तक चली व्यापक चर्चा के बाद शामिल किया गया है, जिसमें पिछले साल मांडविया के कार्यभार संभालने के बाद तेजी आई थी। विधेयक में शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए नैतिक आयोग और विवाद समाधान आयोग के गठन का भी प्रस्ताव है, जिसके कारण कभी-कभी चयन से लेकर चुनाव तक के मुद्दों पर खिलाड़यों और प्रशासकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है।
 आईओए ने इसका विरोध किया है। उसका मानना है कि नियामक बोर्ड सभी एनएसएफ के लिए नोडल निकाय के रूप में उसकी स्थिति को कमजोर करेगा। वर्तमान में आईओए की अध्यक्ष पी टी उषा ने तो यहां तक कह दिया है कि सरकारी हस्तक्षेप के कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) भारत को निलंबित भी कर सकती है।मांडविया ने हालांकि कहा है कि प्रस्तावित विधेयक का मसौदा  तैयार करते समय आईओसी से सलाह ली गई है। आईओसी का इसमें शामिल होना बेहद जÞरूरी है क्योंकि भारत 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने के लिए प्रयासरत है।
खेल मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान खेल प्रशासकों की स्वायत्तता, लेकिन अधिक जवाबदेही की वकालत करने वाले रिजिजू ने कहा कि उन्हें संसद में इस विधेयक के सुचारू रूप से पारित होने का पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा,   दो (अन्य) चीजें हैं – खेलो भारत नीति और  डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक। इन दोनों विधेयकों (डोपिंग रोधी और खेल प्रशासन) को एक साथ मिला दिया जाएगा और हम संसद में इस पर चर्चा करेंगे और मुझे विश्वास है कि सदस्य इसमें हिस्सा लेंगे। रिजिजू ने कहा कि नया खेल विधेयक पारित हो जाने के बाद देश में नई खेल संस्कृति की शुरूआत होगी। खेलो इंडिया ने पहले ही देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
 डोपिंग रोधी अधिनियम 2022 में पारित किया गया था, लेकिन विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने इसको लेकर कुछ आपत्तियां व्यक्त की थी जिसके कारण यह लागू नहीं हो पाया था। विश्व निकाय ने खेलों में डोपिंग रोधी राष्ट्रीय बोर्ड के गठन पर आपत्ति जताई, जिसे डोपिंग रोधी नियमों पर सरकार  को सिफारिशें देने का अधिकार दिया गया था। बोर्ड में केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और दो सदस्य शामिल थे। बोर्ड को राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) की देखरेख करने तथा उसे निर्देश जारी करने का भी अधिकार दिया गया। वाडा ने इस प्रावधान को एक स्वायत्त निकाय में सरकारी हस्तक्षेप मानते हुए खारिज कर दिया था। इसलिए संशोधित विधेयक में वाडा के अनुरूप इस प्रावधान को हटा दिया गया है।