उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाली बेटी सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है। सृष्टि ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है। आज 17 अक्टूबर यानी की मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सृष्टि को पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि ‘मुझे बहुत खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेरा ने ‘एक था गांव’ नाम की अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता को दिखाया है। महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान में वृद्धि होगी।’
उत्तराखंड के टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव की रहने वाली सृष्टि लखेड़ा (35) की फिल्म ‘एक था गांव’ इससे पहले मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बना चुकी है। गढ़वाली और हिंदी भाषा में बनी इस फिल्म में घोस्ट विलेज की कहानी दिखाई गई है। सृष्टि का परिवार ऋषिकेश में रहता है। सृष्टि के पिता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केएन लखेरा ने बताया, सृष्टि बहुत छोटी उम्र 13 साल से फिल्म लाइन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।
उत्तराखंड में पलायन की मुश्किलों को देखते हुए सृष्टि ने यह फिल्म बनाई। आगे बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब 5 से 7 लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी कारण से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में दिखाया है। इस फिल्म में दो मुख्य कलाकार हैं। एक 80 वर्षीय लीला देवी और दूसरी 19 वर्षीय किशोरी गोलू।