होली का पर्व वैसे तो उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में मनाया जाता है, लेकिन मथुरा में ब्रज की होली और अवध में अयोध्या की होली कुछ विशेष होती है। अयोध्या में हनुमानगढ़ी के नागा संयासियों की होली प्रसिद्ध है। अयोध्या में होली की शुरूआत रंगभरी एकादशी के दिन नागा साधुओं की हनुमान जी के साथ होली खेलने से होती है।
अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत शिव कुमार दास ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि रंगभरी एकादशी के दिन से ही अयोध्या में होली शुरू हो जाती है।
रंगभरी एकादशी के दिन हनुमान गढ़ी से हनुमान जी का निशान पूरे अयोध्या में घुमाया जाता है। हनुमान जी के निशान के साथ शोभायात्रा में हनुमानगढ़ी के सभी पट्टी के नागा साधु शामिल होते हैं। इस दौरान फूलों और अबीर के साथ होली खेलते हुए नागा साधू अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करते हुए प्रमुख मंदिरों में जाते हैं। जिस मंदिर पर जाते हैं वहां पर हनुमान जी की आरती उतारी जाता है। शोभा यात्रा में शामिल संतों का जलपान कराने के बाद दक्षिणा दी जाती है।
होली के दिन नागा साधू हनुमानगढ़ी में जमकर होली खेलते हैं। इसके बाद सभी नागा साधू एक साथ सरयू में स्नान के लिए जाते हैं। होली के दिन हनुमान जी को मालपुआ का विशेष रूप से भोग लगाया जाता है। मंदिरों में मालपुआ का प्रसाद वितरित होता है। इसके अलावा अयोध्या के अन्य मंदिरों में होली हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। साधु संत फूलों से होली खेलते हैं।
‘आज ऐसा फैसला लूंगा, जो कभी नहीं लिया गया’, मुख्यमंत्री बनते ही भगवंत मान का एलान
लखनऊ की होली
भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण द्वारा स्थापित लक्ष्मणपुर जिसे लखनऊ के नाम से जानते हैं वहां पर भी पूरे हर्ष व उल्लास के साथ होली मनाई जाती है। लखनऊ में होली का खुमार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। लखनऊ के चौक में होली के दिन जुलूश निकलता है और मेला भी लगता है। दूसरे दिन कवि सम्मेलन का आयोजन होता है। होली के दिन दोपहर तक सभी लोग रंग खेलते हैं और दोपहर बाद अबीर लगाकर गले मिलते हैं।
इसके अलावा अवध क्षेत्र के अन्य जिलों मेंं होली एक जैसे मनाई और खेली जाती है। होलिका दहन सभी जिलों में होता है। होलिका दहन के दूसरे दिन रंगोत्सव का पर्व होता है। इस दिन सब लोग एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल डालते हैं। होली के दिन दोपहर 12 बजे के बाद लोग अबीर लगाकर एक दूसरे को होली के शुभकामनाएं देते हैं।