शिव मंदिर के अधूरे निर्माण कार्य के खिलाफ अब मुस्लिम महिलाओं ने खोला मोर्चा, खाई मंदिर न बनने देने की कसम  

उन्नाव के बीघापुर कोतवाली क्षेत्र में शिव मंदिर की छत ढालने वाला विवाद एक बार फिर भड़क उठा है। दरअसल, अभी तक जहां इस मामले में मुस्लिम समुदाय के पुरुष इस शिव मंदिर के छत के निर्माण को लेकर विरोध करते नजर आ रहे थे। वहीं, इस मामले में प्रशासन के बीच में आने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। दरअसल, बीते सोमवार को रानीपुर गाँव में मंदिर की छत ढलाई के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है।

एक समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार, रानीपुर गाँव की मुस्लिम महिलाओं ने शिव मंदिर निर्माण का खुलेआम विरोध करते हुए भड़काऊ बयानबाजी भी की है। भड़काऊ बयान के वीडियो सोशल मीडिया पर भी प्रसारित हो रहे हैं। मंदिर का विरोध करने वाली मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि मंदिर की घंटी बजने से उन्हें दिक्कत होगी। कुछ भी हो जाए मंदिर की छत नहीं पड़ने देंगे।

इस पूरे मामले में प्रशासन उदासीन नजर आ रहा है। प्रशासन मामले को शांत कराने की कोशिश कर रहा है। एसडीएम सदर क्षितिज द्विवेदी का बयान भी आया है। उन्होंने जमीन को लेकर किसी समस्या की बात से इन्कार किया है। एसडीएम ने बताया कि विवादित जमीन पैमाइश में आबादी की जमीन निकली है। चबूतरा आबादी की जमीन पर है, तो कोई समस्या नहीं है। हालाँकि मंदिर की छत न ढलने देने को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है।

आपको बता दें कि रानीपुर एक मुस्लिम बाहुल्य गाँव हैं। यहां करीब 130 घर मुस्लिमों के हैं और हिंदुओं के बामुश्किल 30 घर हैं। हिंदू समुदाय के पास एक शिव मंदिर है जो 70 साल से भी ज़्यादा पुराना है। वे इसी मंदिर के चबूतरे पर मुंडन, छेदन और शादी जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। चबूतरे पर दीवारें और खंभे तो हैं, लेकिन छत नहीं है क्योंकि मुस्लिम कट्टरपंथी इसका विरोध करते हैं। उनका तर्क है कि 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद है और कोई भी निर्माण कार्य वहां नमाज़ पढ़ने में बाधा डालेगा।

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ऐसे में बहुसंख्यक मुस्लिम वर्ग की महिलाओं ने मंदिर निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा है कि मंदिर की घंटियों से उन्हें परेशानी होगी। इसलिए वो मंदिर नहीं बनने देंगे। वहीं, जिस परिवार ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, वो दबाव की वजह से उन्नाव से लखनऊ चला गया है।