पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में जमानत पर रिहाई से किया इनकार करते हुए कहा कि उत्तर भारत में मुख्तार अंसारी की छवि रॉबिन हुड की है. 58 केस के बाद भी मुख्तार अंसारी गैंगस्टर नहीं, तो कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने 2014 के एक मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी.
दरअसल, मुख्तार ने गैंगस्टर एक्ट की धारा तीन (एक) के तहत थाना तरवां जिला आजमगढ़ में 2014 में
दर्ज प्राथमिकी में जमानत की मांग की थी. जिसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने कहा कि याची गैंग लीडर है और उत्तर भारत में उसकी छवि रॉबिन हुड की है. अगर 58 केस के बाद भी याची गैंगस्टर नहीं है तो देश में कोई भी अपराधी गैंगस्टर नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने मुख़्तार की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी. हालांकि जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अंसारी के अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने अर्जी वापस करने की कोर्ट से प्रार्थना की थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया.
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याची दुर्दांत और आदतन अपराधी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याची दुर्दांत और आदतन अपराधी है. उसके ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, अपहरण और रंगदारी मांगने के 58 मुकदमे दर्ज है. याची 1986 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है, लेकिन आज तक उसे सजा नहीं हो सकी। 2014 में आजमगढ़ के तरवां में हुई अंधाधुंध फायरिंग भी गैंग का दहशत दिखाने के लिए की गई थी, जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई थी.