प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस का एनकाउंटर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस हत्याकांड में शामिल दो आरोपी पुलिस के साथ मुठमेड़ में मारे जा चुके हैं। आशंका है कि अन्य फरार आरोपी भी देर-सबेर पुलिस की गोली का शिकार होंगे। राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अपराधियों पर यूपी पुलिस ने जबर्दस्त तरीके से नकेल कसा है। कई मौकों पर अपराधियों में पुलिस एवं कानून का भय साफ तौर पर दिखा है। योगी सरकार के बीते छह सालों में 10,000 से ज्यादा एनकाउंटर हो चुके हैं।
मुठभेड़ में 178 कुख्यात बदमाश हुए ढेर
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के साथ मुठभेड़ में करीब 178 कुख्यात बदमाश ढेर हुए हैं। इनमें से ज्यादातर बदमाशों के सिर पर 75,000 रुपए से लेकर पांच लाख रुपए का इनाम था। यूपी में यूं तो मुठभेड़ सभी इलाकों में हुए हैं लेकिन एक खास क्षेत्र की अगर बात करें तो एनकाउंटर के मामले में मेरठ जोन सबसे आगे है। रिपोर्ट में एक सरकारी प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि साल 2017 के बाद मेरठ जोन में ही अकेले 3,152 एनकाउंटर हुए। इन मुठभेड़ों में 63 अपराधी मारे गए जबकि 1,708 अपराधी घायल हुए।
करीब 13 पुलिसकर्मियों की जान गई
यही नहीं 20 मार्च 2017 और छह मार्च 2023 के बीच पुलिस ने एनकाउंटर के बाद करीब 23,069 अपराधियों को गिरफ्तार किया। इन एनकाउंटर में करीब 4,911 बदमाश घायल हुए। इसी दौरान हुए मुठभेड़ों में करीब 13 पुलिसकर्मियों की जान गई जबकि 1,424 पुलिस के जवान गोली लगने से घायल हुए। बीते छह सालों में यूपी में पांच लाख रुपए के दो ईनामी बदमाश, 2.5 लाख रुपए के चार, दो लाख रुपए के दो, 1.5 लाख रुपए के छह, एक लाख रुपए के 27 और 75 लाख रुपए के कई अन्य ईनामी बदमाश एनकाउंटर में ढेर हुए।
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अपराधियों में है यूपी पुलिस का खौफ
2017 में सूबे की कमान संभालने वाली योगी सरकार में कानून-व्यवस्था प्राथमिकता में रही है। अपराधियों एवं माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती आई है। राज्य में कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए यूपी पुलिस ने बदमाशों, अपराधियों एवं माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। उपद्रव एवं हिंसा करने वालों के आवासों एवं इमारतों पर प्रशासन का बुलडोजर चला है और उनकी संपत्तियां कुर्क हुई हैं। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल माफिया अतीक अहमद के गुर्गों की संपत्तियां भी जमींदोज हुई हैं।