कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों और मोदी सरकार के बीच 5वें दौर की बैठक जारी है। दिल्ली के विज्ञान भवन में चल रही इस बैठक के दौरान सामने आ रहे अपडेट से पता चला है कि किसानों ने सरकार के प्रतिनिधियों को यह साफ़ संदेश दिया है कि वह सरकार से बातचीत करने नहीं आए हैं बल्कि हमें ठोस जवाब चाहिए, वह भी लिखित में, सरकार ने इस बात पर रजामंदी भी जताई है। इसके अलावा यह भी पता चला है कि किसानों ने इस बार भी सरकार द्वारा दिए गए भोजन को खाने से मना कर दिया है।
मोदी सरकार के सामने मांगों को लेकर डटें है किसान
न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में किसान लगातार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। उधर सरकार के प्रतिनिधियों का कहना है कि कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा अगर कोई और रास्ता है तो वह बताए। इसके साथ ही सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन का भी प्रस्ताव रखा है। हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि कानूनों को रद्द करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं।
साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक के बिन्दुवार लिखित जवाब देने को कहा, जिसके लिए सरकार सहमत हो गई।
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इसके अलावा पिछली बार की तरह ही इस बार भी किसानों ने सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए भोजन को खाने से मना कर दिया है। विज्ञान भवन में मीटिंग के दौरान किसानों ने लंगर से खाना मंगवाया और नीचे फर्श पर बैठकर खाया। किसानों के लिए लंच भी आया था और चाय भी। लंच में दाल, सब्जी और रोटी रही। किसानों के लिए लंच बंगला साहब गुरुद्वारे से पहुंचा।
आपको बता दें कि किसान नेताओं से बातचीत करने के लिए मोदी सरकार के प्रतिनिधि की भूमिका कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल निभा रहे हैं। जबकि किसानों की ओर से 40 किसान संगठनों के नेता इस बैठक में शामिल हुए हैं।