दीपावली पर्व 14 नवम्बर: कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम 14 वर्ष के वनवास एवं लंका विजय के उपरान्त अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर लोगों ने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से इसे दीपावली के रूप में मनाते है।
दीपावली के दिन पूजा करने की विधि
दीपावली पर्व महालक्ष्मी पूजा का विशेष पर्व है। कहते है कि अध्र्य रात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती है। दीपक जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती है और उस घर में निवास करती है। 14 नवम्बर दीपावली के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु के निर्मित दीपक प्रज्वलित करें।
इस पर्व के दिन दोपहर में पितरों के निर्मित यथा शक्ति दान दें और तर्पण करें और दीपावली के सांयकाल शुभ लग्न में गणेश ,लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें। महानिशिथ काल में महाकाली का पूजन करना चाहिए। महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति शत्रु भय से मुक्ति और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है।
इन मन्त्रों का करें उच्चारण
महालक्ष्मी मंत्र- ॐ श्रीं ह्नीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्नीं श्रीं महालक्ष्यै नमः।
कुबेर जी का मंत्र- ऊँ श्रीं ऊँ ह्नीं श्रीं ह्नीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।।
दीपावली पर दक्षिणावर्तीं शंख, श्री यंत्र, गोमती चक्र, लक्ष्मी कुबेर यन्त्र, हल्दी की गांठ , लघु नारियल आदि को भी स्थापित करने से सुख सौभाग्य धन वृद्धि होती है।
दीपावली पूजन शुभ मुर्हूत
14 नवम्बर दीपावली अमावस्या तिथि को शनिवार सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग है। अमावस्या तिथि 14 नवम्बर दिन में 2:17 से प्रारम्भ होकर 15 नवम्बर को प्रातः 10:36 तक है. लक्ष्मी पूजा प्रदेाश, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेष्ठ है और काली पूजा अमावस्या मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है। दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त प्रदोशकाल, स्थिर लग्न वृषभ एवं सिंह लग्न श्रेष्ठ होता है।
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इस वर्ष शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैः-
कुंभ लग्न- दिन 12:37 – 02:09 (व्यवसायिक स्थल में पूजा हेतु)
प्रदोशकाल- सायंकाल 05:12 – 07:52 और वृषभ लग्न- सायंकाल 05:16 – 07:13 (घर में पूजा हेतु)
सिंह लग्न- रात्रि 11:44- 01:58 ( ईष्ट साधना सिद्धि के लिए )
महानिशिथ काल- रात्रिकाल 11:25 – 12:17 (काली पूजा तथा तांत्रिक पूजा के लिए )