अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग में किसी भी जाति के लोगों को लाकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा पाप किया है। वह नकारात्मक राजनीति करती रही। इसीलिए सर्वाधिक मामले उनके शासन काल में सामने आए। यही नहीं इस शोषित वर्ग को सर्वाधिक सहयोग करने का श्रेय भाजपा को जाता है। जबकि सपा सरकार में मायावती के बनाए गए नियम का दुरुपयोग किया गया। यह कहना था अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ रामबाबू हरित का। वह जालौन में आयोजित एससी-एसटी आयोग के सम्मेलन में शामिल होने को जाने से पूर्व झांसी सर्किट हाउस में पत्रकारों से मुखातिब हो रहे थे।
उन्होंने बताया कि भाजपा इस वर्ग की बेटियों को अपनी बेटियां मानते हुए उनकी शादी की स्वयं जिम्मेदारी उठा रही है। ऐसा किसी भी सरकार ने नहीं किया। मायावती ने इस वर्ग के साथ केवल मारपीट करवाते हुए अपना स्वार्थ सिद्ध किया। बताया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग का मुख्य कार्य प्रदेश में रह रहे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की ओर से प्राप्त शिकायतों की सुनवाई करना और उसका सम्यक विधि एवं विधिपूर्ण समाधान करना है।
आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के जो प्रकरण आए हैं। वह मुख्यत: पुलिस एवं राजस्व विभाग से संबंधित होते हैं। इसके अतिरिक्त आयोग के विभागीय एवं उत्पीड़न के मामलों में दी जाने वाली आर्थिक सहायता से संबंधित मामले भी आते हैं। आयोग कुछ मामलों में जैसे- समाचार पत्रों , इलेक्ट्रानिक मीडिया में आयी खबरों का स्वतः संज्ञान भी लेता है। इस संदर्भ में जनपद आगरा आजमगढ़,औरेया, इटावा, कानपुर नगर, शाहजहांपुर व अमरोहा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के साथ घटित घटनाओं का आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया। वहां आयोग की टीम भेजकर स्थलीय जांच करायी गयी और आयोग द्वारा ऐसे मामले का नियमानुसार निस्तारण किया गया। आयोग में बीते वर्ष 27 दिसम्बर तक कुल 6371 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुये। इनमें से 4649 मामले संबंधित विभागों को अपने स्तर से निस्तारण हेतु भेजे गये। 1722 मामलों में संबंधित विभागों से आख्यायें मंगाकर आयोग द्वारा निस्तारण किया गया। 31अगस्त 2021 से आयोग में पूर्व से विचाराधीन 342 मामलों और 128 नये मामलों को मिलाकर कुल 470 मामलों की सुनवाई की गयी। सुनवाई के उपरांत 347 मामलों का निस्तारण किया गया। शेष 123 मामलों में अग्रिम सुनवाई नियत है।
‘धर्म संसद में भड़काऊ भाषण’ मामले पर बोले सिब्बल, इन ‘अपराधियों’ को लेकर कर दी बड़ी मांग
उन्होंने कहा कि आर्थिक सहायता से सम्बन्धित मामलों का गम्भीरतापूर्वक संज्ञान लेकर उनका त्वरित निस्तारण कराया। इसके फलस्वरूप 85 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए पीड़ित परिवार को 1,28,91,250 (एक करोड अट्ठाइस लाख इक्यानवे हजार दो सौ पचास रुपये ) की धनराशि आर्थिक सहायता के रूप में आयोग के हस्तक्षेप से उपलब्ध करायी गयी। इससे पीडित व उसके परिवार के सदस्यों को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ और वे पुनर्वास की प्रक्रिया में शामिल हुए। समाज कल्याण विभाग से प्राप्त आकड़ों के आधार पर वित्तीय वर्ष (01/04/2020 से 31/03/2021 तक) 2020-2021 में अत्याचारों से उत्पीडित अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 23502 व्यक्तियों को 229.05 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी है।