पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब अपने चुनावी वादों को पूरा करने की कवायद में जुट गई हैं। हालांकि, उनका एक वादा ऐसा है, जिसको पूरा करने के लिए उन्हें मोदी सरकार के मदद की जरूरत है। दरअसल, बंगाल में मंगलवार को विधानसभा में विधान परिषद के गठन के लिए पेश किये गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। दरअसल, विधानसभा में विधान परिषद के निर्माण को लेकर पेश किये गए प्रस्ताव के लिए वोटिंग हुई। इस प्रस्ताव के पक्ष में 196 सदस्यों ने वोट किया। वहीं विरोध में 69 वोट पड़े। वोटिंग के दौरान सदन में 265 सदस्य उपस्थित हुए थे।
ममता सरकार का प्रस्ताव अब संसद में होगा पेश
ममता बनर्जी सरकार की ओर से विधानसभा में पेश विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पास हो गया है, लेकिन अब इसे संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा से बहुमत से पास कराना होगा। इस तरह से विधानसभा परिषद का गठन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता।
पश्चिम बंगाल में 5 दशक पहले विधान परिषद की व्यवस्था थी, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया था। आजादी के बाद 5 जून 1952 को राज्य में 51 सदस्यों वाली विधान परिषद का गठन किया गया। लेकिन बाद में 21 मार्च 1969 को इसे खत्म कर दिया गया। हालांकि 2011 में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सत्ता में आते ही विधान परिषद के गठन का वादा किया था।
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फिलहाल उत्तर प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार में विधान परिषद की व्यवस्था है। इस परिषद को विधानसभा का उच्च सदन भी कहते हैं। इससे पहले जम्मू- कश्मीर में भी विधान परिषद थी लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इसकी मान्यता खत्म हो गई।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में विधान परिषद का गठन करने का वादा किया था। बंगाल में 2 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू हो गया है।