बंगाल के मुख्य सचिव के लिए ममता ने उठाया बड़ा कदम, केंद्र को पढ़ाया संविधान का पाठ

बीते दिनों यास चक्रवात की वजह से हुई तबाही की वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक के बाद से बंगाल की सियासत में तूफ़ान आ गया है। दरअसल, इस समीक्षा बैठक के बाद से बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय मोदी सरकार के निशाने पर आ गए हैं। बीते दिनों शुक्रवार को केंद्र ने अलपन बंदोपाध्याय को तलब भी किया था। हालांकि, अब सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मुख्य सचिव को बचाने की कवायद में जुट गई है।

मुख्य सचिव की वजह से ममता ने लिखा पत्र

दरअसल, ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव को तलब किये जाने पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखा है। इस पत्र में उन्होंने नियमों और संविधान का हवाला दिया है और मुख्य सचिव के स्थानान्तरण को गलत ठहराया है।

पत्र में ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव को स्थानांतरित करने से मना करते हुए लिखा है कि राज्य सरकार इस संकट के समय में अपनी मुख्य सचिव को नहीं छोड़ सकती है और नहीं छोड़ रही है। पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा कि कुछ हफ्ते पहले ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की अपील की माना था और चीफ सेक्रेटरी के कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाया था, लेकिन अब फिर रुख को बदला गया है।

अपने इस पत्र में ममता बनर्जी ने एक बार फिर साइक्लोन यास को लेकर बंगाल में हुई बैठक का जिक्र किया, जिसकी अगुवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। ममता ने इस मीटिंग में भारतीय जनता पार्टी के विधायक शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी पर नाराजगी व्यक्त की। ममता ने लिखा कि पीएम-सीएम की मीटिंग में किसी विधायक का होना ठीक नहीं है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था, अलपन को सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली बुलाया गया था। लेकिन वो सोमवार को नहीं पहुंचे और बंगाल में ही अपने काम में जुटे रहे।

यह हंगामा बीते दिनों पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई उस समीक्षा बैठक के बाद शुरू हुआ है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को ममता के साथ यास चक्रवात की वजह से हुए नुकसान पर चर्चा करना था। आरोप है कि इस बैठक में ममता बनर्जी अपने मुख्य के साथ 30 मिनट देरी से आई और अन्य बैठकों का हवाला देते हुए तुरंत वहां से चली गई।