महाकुंभ 2025 के दौरान मेला क्षेत्र में गैर हिंदुओं को खाद्य सामग्री की दुकानें न लगाने देने का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो गया है। दरअसल, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया विरोध संत समुदाय को रास नहीं आया है। संत समुदाय ने खुलकर एबीएपी का समर्थन किया है।
मुस्लिम जमात ने विरोध करते हुए दिया तर्क
एबीएपी प्रमुख श्री महंत रवींद्र पुरी द्वारा हाल ही में रखे गए प्रस्ताव का मुस्लिम धार्मिक संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के कदम से समाज में दरार पैदा होगी। उनके इस विरोध के बाद झूंसी के टीकर माफी आश्रम के प्रमुख स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने तगड़ा पलटवार किया है।
स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने मुस्लिम समुदाय के विरोध पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो लोग हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू धार्मिक ग्रंथों, पुराणों, उपनिषदों आदि में विश्वास नहीं करते, उन्हें ऐसे धार्मिक आयोजन में आने का कोई अधिकार नहीं है, जो हिंदू परंपराओं और मान्यताओं से इतनी गहराई से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि जो लोग इसे सिर्फ पैसा कमाने का मौका मानते हैं, उनके लिए महाकुंभ परिसर के आसपास के 5 किलोमीटर के क्षेत्र को उनकी लक्ष्मण रेखा बना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मेला क्षेत्र के आसपास मांस, मछली और शराब की बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए।
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जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि महाकुंभ सनातन धर्म की महानता, विशालता, पौराणिकता, आस्था, भक्ति और विश्वास का केंद्र है। ऐसे में गैर-हिंदुओं को मेला क्षेत्र में प्रवेश करने या व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो साधु समुदाय इसका बहिष्कार करेगा।
बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने भी इस मुद्दे पर एबीएपी की मांग का समर्थन किया है।