प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के काम पर रोक लगाने की कोशिश नाकाम हो गई है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने न सिर्फ इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, बल्कि इसके लिए कोर्ट में याचिका देने वाले शख्स पर भी तगड़ा चाबुक चलाया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर दायर हुई थी याचिका
आपको बता दें दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माणकार्य पर रोक लगाने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि अभी दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर पूरी तरह रोक है, तो इस प्रोजेक्ट का काम क्यों नहीं रोका गया। याचिका में कहा गया था कि 500 से ऊपर मजदूर वहां काम कर रहे है इससे वहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है।
हालांकि, सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मांग को पूरा करने से साफ़ इंकार कर दिया है। दरअसल, इस याचिका पर हुई सुनवाई के वक्त दिल्ली में कंस्ट्रक्शन के काम पर लग रोक हट चुकी है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल खड़े किये। कोर्ट का कहना है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को जबरन रोकने के लिए याचिका दायर की गई थी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
कोरोना संक्रमण के सवाल पर अदालत ने कहा कि चूंकि अभी सभी वर्कर निर्माण स्थल पर हैं और सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसलिए इस कोर्ट के पास कोई कारण नहीं है कि वो आर्टिकल 226 के तहत मिले शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोजेक्ट को रोक दे।
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बता दें कि 22 लाख वर्गफीट भूभाग पर सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन और सचिवालय समेत अन्य इमारतों का निर्माण होना है। इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।