बहराइच हिंसा मामले में घायल शख्स ने खोला बड़ा राज, बयाँ की मुस्लिम कट्टरपंथियों की क्रूरता

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के बहराइच में नवरात्रि के दौरान हिंदुओं पर हुए सबसे हिंसक हमलों में से एक नया वीडियो सामने आया। यह हमला रविवार को हुआ था। इस हमले में इस्लामी भीड़ ने 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की बेरहमी से हत्या कर दी थी। मिश्रा अकेले इस क्रूर हमले के भुक्तभोगी नहीं थे, उनके साथ सुधाकर तिवारी भी थे, जो सौभाग्य से इस हमले में बच गए।

सुधाकर फिलहाल स्थानीय अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है। हमले में उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उनके सिर में चोट लगी है और वे ठीक से बोल नहीं पा रहे हैं।

अस्पताल में भर्ती तिवारी का एक वीडियो शुभी विश्वकर्मा नाम के अकाउंट से एक्स पर शेयर किया गया है। वीडियो में तिवारी को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि मस्जिद से कुछ लोगों ने हिंदुओं पर हमला शुरू किया था।

तिवारी को बहराइच में 13 अक्टूबर को हुए भयानक हमले को याद करते हुए कहते हुए सुना जा सकता है कि मस्जिद के लोगों ने हम पर हमला किया। मुझे ज़्यादा याद नहीं है कि उन्होंने हम पर कब हमला किया। मेरे सिर पर चोट लगी थी और मैं बेहोश हो गया था। पुलिस मुझे यहाँ लेकर आई।  

एक न्यूज पोर्टल के अनुसार, जुलूस में शामिल अभिषेक ने घटनाक्रम को याद करते हुए बताया कि जुलूस महाराजगंज में अब्दुल हमीद के घर के सामने पहुंचा। अब्दुल के परिवार के लोगों ने संगीत पर आपत्ति जताई और डीजे का तार काटकर उसे तोड़ दिया। देखते ही देखते और लोग भी उनके साथ आ गए और हिंदू धर्म के खिलाफ नारे लगाने लगे। तभी एक घर के अंदर से आवाज आई- ‘पकड़ो बदमाश’। उन्होंने हमारे साथ मौजूद राजन और कृष्णा को घर के अंदर खींच लिया। राम गोपाल दूसरी तरफ भागा और छत पर कूद गया। वहां एक झंडा लगा था। उसने उसे तोड़ दिया और भगवा झंडा लहराने लगा।

अभिषेक ने एक भयावह विवरण देते हुए कहा कि जब रामगोपाल झंडा लहरा रहे थे, तो कुछ लोग घर से बाहर आए और उन्हें अंदर खींच लिया। उन्होंने उन्हें चाकू मारा और फिर गोली मार दी।

आपको बता दें कि यह घटना रविवार शाम को रेहुआ मंसूर गांव में हुई, जब मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए निकाली जा रही थी। गौरिया घाट की ओर जा रहा जुलूस जब धार्मिक नारे लगाते हुए महाराजगंज इलाके में एक मस्जिद के सामने से गुजर रहा था, तो मस्जिद के पास मुस्लिम जमा हो गए और जुलूस से डीजे बंद करने को कहा।

रिपोर्ट के अनुसार, इस पर दोनों पक्षों में बहस हो गई और अफरा-तफरी के बीच कुछ लोगों ने जुलूस और मूर्तियों पर पथराव शुरू कर दिया। हिंदुओं ने मौके पर मौजूद पुलिस से दोषियों को गिरफ्तार करने को कहा, लेकिन इसी बीच मुस्लिम समुदाय के और लोग वहां पहुंच गए।

ऐसा माना जाता है कि हंगामे के दौरान मिश्रा अब्दुल हमीद के घर की छत पर चढ़ गए और वहां पहले से लहरा रहे हरे झंडे को भगवा झंडा से बदल दिया, जबकि हवा में ‘जय मां दुर्गा’ और ‘जय हनुमान’ के नारे गूंज रहे थे।

पथराव के बीच कुछ बदमाशों ने फायरिंग भी की। रिपोर्टर्स के मुताबिक, इलाके में अब्दुल हमीद के घर से किसी ने फायरिंग की। रेहुआ मंसूर गांव के कैलाश नाथ के बेटे राम गोपाल मिश्रा को नजदीक से गोली लगी। उन्हें बहराइच के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

यह भी पढ़ें: केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने उमर अब्दुल्ला, मनोज सिन्हा ने दिलाई शपथ

इसके बाद जो हुआ वह और भी भयानक था। इस्लामवादियों ने मिश्रा को एक घर में ले जाकर बंद कर दिया और उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित किया। उन्होंने उसके नाखून काटने के लिए प्लायर्स का इस्तेमाल किया, चाकू से उसकी गर्दन काट दी और फिर उस पर 15 से ज़्यादा गोलियाँ चलाईं। उसे मारने के बाद, भीड़ ने हिन्दुओं पर पत्थर फेंककर अपना हमला फिर से शुरू कर दिया, जिससे हिंदू समुदाय के प्रति उनकी गहरी नफ़रत का पता चलता है।