प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है। नई विश्व व्यवस्था में भारत को अपनी भूमिका बढ़ाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में 96वें सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम के समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने नए खेल परिसर का उद्घाटन किया और पुर्ननिर्मित हैप्पी वैली परिसर को भी राष्ट्र को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने आईएएस प्रशिक्षुओं से कहा कि वे अपनी सेवा की भावना को कभी न छोड़ें। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में आप एक जिले या कई सरकारी विभागों का प्रबंधन करेंगे, इसलिए आत्मानिर्भर भारत और आधुनिक भारत का लक्ष्य हमेशा आपके दिमाग में होना चाहिए।
96वां बुनियादी पाठ्यक्रम एलबीएसएनएए का पहला सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम है, जिसमें नई शिक्षा और पाठ्यक्रम प्रारूप मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों पर आधारित है। बैच में 16 सेवाओं के 488 अधिकारी प्रशिक्षु और 3 रॉयल भूटान सर्विसेज (प्रशासनिक, पुलिस और वन) शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने देश की आजादी के अमृतकाल के मद्देनजर सिविल सेवकों के बैच को विशेष बताते हुये कहा कि हम में से बहुत से लोग आजादी के 100वें वर्ष में नहीं रहेंगे लेकिन यह बैच उस समय रहेगा। अगले 25 साल में देश जितना विकास करेगा उसमें इस बैच की बहुत बड़ी भूमिका होगी।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के जिस मुकाम पर आज भारत है, पूरी दुनिया की नजरें हम पर टिकी हुई हैं। कोरोना ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, उसमें एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है। इस नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है और तेज गति से अपना विकास भी करना है। उन्होंने कहा कि आपको एक चीज का हमेशा ध्यान रखना है और वो है 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक भारत का है। इस समय को हमें खोना नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम कर्तव्य की भावना और उद्देश्य की भावना के साथ काम करते हैं, तो हमें कोई काम बोझ नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आपको फाइलों और फील्ड का फर्क समझते हुए ही काम करना होगा। फाइलों में आपको असली फील नहीं मिलेगी। फील के लिए आपको फील्ड से जुड़े रहना होगा। फाइलों में जो आंकड़े होते हैं, वो सिर्फ नंबर्स नहीं होते। हर एक आंकड़ा, हर एक नंबर, एक जीवन होता है। आपको नंबर के लिए नहीं, हर एक जीवन के लिए काम करना है।
प्रधानमंत्री ने लोक सेवकों से समस्याओं के मूल कारण तक जाने को कहा ताकि स्थायी समाधान ढूंढा जा सके। उन्होंने कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में हमें सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन को अगले स्तर पर ले जाना है। आज का भारत सबके प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने अधिकारियों से स्वयं को अपने कम्फर्ट जोन तक सीमित नहीं रखने की सलाह देते हुए कहा कि हमेशा एक कठिन चुनौती के लिए तैयार रहें और अपनी जोखिम लेने की क्षमता विकसित करें।