मोदी सरकार ने सियासी हथियार डाले, तो किसानों ने कामयाबी का हल उठाया!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार के सारे सियासी हथियार बेअसर रहे और अंततः किसानों के अहिंसक आंदोलन के बाद जीत हुई, नतीजा?

मोदी सरकार ने सारे सियासी हथियार डाल दिए, तो किसानों ने भी कामयाबी के बाद  आंदोलन स्थगित करके खेतों के लिए फिर से हल उठाने का फैसला कर लिया है!

खबर है कि एक वर्ष से ज्यादा समय से चल रहा किसान आंदोलन स्थगित हो गया है, लेकिन किसानों को अभी बॉर्डर से हटने में समय लगेगा, गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान सबसे बाद में यहां से जाएंगे.

खबरों की माने तो 11 दिसम्बर 2021 को इसे लेकर फैसला लिया जाएगा, तब तक गाजीपुर बॉर्डर नहीं खुलेगा.

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को किसान आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी गई, सरकार की ओर से किसानों की मांगे मानते हुए उनके पक्ष में निर्णय लिया गया था, जिसके कारण किसानों ने अब यह निर्णय लिया है!

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल सिंह के हवाले से खबर है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के लिए बैठे किसान आंदोलन स्थगित करने की घोषणा के बाद 11 दिसम्बर 2021 से सिंधु और गाजीपुर बॉर्डर समेत अन्य सभी जगहों से घर लौटना शुरू कर देंगे, बॉर्डर से लौटने के बाद 13 दिसम्बर 2021 को किसान अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में अरदास भी करेंगे और फिर अपने-अपने घर पहुंचेंगे.

याद रहे, मोदी सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर किसानों की सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन चुकी थी और गुरुवार पर इस पर लम्बी चर्चा के बाद फैसला किया गया, इसके बाद किसानों ने बॉर्डर से टेंट और लंगर हटवाना शुरू कर दिया है.

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अब 15 जनवरी 2022 को एक समीक्षा बैठक होनी है, जिसमें किसान आंदोलन पर चर्चा के साथ साथ आगे की कार्य योजना तैयार की जाएगी,  यही नहीं, समय-समय पर भी किसान समीक्षा करते रहेंगे, क्योंकि यदि सरकार वादा खिलाफी करती है तो फिर से किसान सड़कों पर उतर आएंगे.