उत्तराखंड की सत्तारूढ़ धामी सरकार ने उत्तराखंड जल संस्थान (यूजेएस) के इंजीनियरों को सख्त और अभूतपूर्व चेतावनी दी गई है। धामी सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर गंगा में प्रदूषण जारी रहा तो नवंबर का उनका वेतन रोक दिया जाएगा। यह निर्देश नदी और उसकी सहायक नदियों, खासकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून जिलों में प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बाद आया है।
प्रदूषण को लेकर यूजेएस की मुख्य महाप्रबंधक ने दिया अल्टीमेटम
समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार, यूजेएस की मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) नीलिमा गर्ग ने कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो न केवल विभागीय अधिकारी, बल्कि गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने की प्रक्रिया में शामिल निजी ठेकेदारों को भी परिणाम भुगतने होंगे।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) प्रभावी ढंग से काम करें
पवित्र नदी में प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत इसके किनारों पर खराब पंपिंग स्टेशनों से निकलने वाला अनुपचारित सीवेज है। गर्ग ने कहा कि चेतावनी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) प्रभावी ढंग से काम करें और अनुपचारित अपशिष्ट जल को नदी को प्रदूषित करने से रोकें।
गर्ग ने कहा कि यदि नवंबर के अंत तक रिपोर्ट में यह पाया गया कि गंगा या उसकी सहायक नदियों में अनुपचारित जल छोड़ा जा रहा है, तो जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन रोक दिए जाएंगे, क्योंकि कार्यकारी अभियंताओं को बार-बार एसटीपी के अपेक्षित मानकों को बनाए रखने के महत्व की याद दिलाई गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई एक नई मिसाल कायम करेगी।
रिपोर्टों ने उजागर किया नदियों में बढ़ता प्रदूषण
हाल ही में आई रिपोर्टों में कई जिलों में नदी के बढ़ते प्रदूषण को उजागर किया गया है। यह स्थिति राज्य की अपनी एक समय की पवित्र नदियों की प्रतिष्ठा को खतरे में डालती है, क्योंकि खराब तरीके से प्रबंधित एसटीपी समस्या को और बढ़ा देते हैं।
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स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पानी की कमी को दूर करने के लिए एसटीपी से उपचारित पानी को निर्माण और कृषि उपयोग के लिए पुनः उपयोग में लाएं। गर्ग ने कहा कि हम पूरे राज्य में एसटीपी की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और गंगा को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार पाए जाने वाले किसी भी अधिकारी के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।