प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की करिश्माई जोड़ी 2014 से ही भाजपा के लिए लगातार नए इतिहास गढ़ रही है। 2022 में भी पार्टी ने कई ऐसी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसे छू पाना भी आने वाले समय में दूसरे राजनीतिक दलों के लिए बड़ा चैलेंज साबित होगा। 2022 के साल की शुरूआत में ही हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एतिहासिक सफलता के साथ सरकार बनाने में सफलता पाई थी। उसे गोवा और मणिपुर में भी जीत हासिल हुई, तो साल के अंत में उसने गुजरात में जीत का ऐसा नया रिकॉर्ड बनाया है, जिसे दोहरा पाना स्वयं भाजपा के लिए भी आसान नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 1980 में वीपी सिंह के नेतृत्व में 425 में 309 सीटों पर सफलता हासिल की थी। 1985 के चुनाव में पार्टी ने नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में 269 सीटें जीतकर लगातार दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रही थी। उसके बाद यह सफलता कांग्रेस सहित कोई दूसरा दल हासिल नहीं कर पाया। 37 साल बाद भाजपा 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लगातार दो बार सफलता हासिल करने में कामयाब रही। 2017 के चुनाव में उसे 403 सीटों वाले सदन में 312 सीटों पर सफलता प्राप्त हुईं, तो 2022 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उसे 255 सीटों पर जीत मिली।
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में इसके गठन के बाद से अब तक कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आने में कामयाब नहीं रही थी। राज्य की इस परंपरा के भरोसे कांग्रेस ने हरीश रावत के नेतृत्व में भाजपा के सामने तगड़ी चुनौती पेश की। राज्य सरकार के शासन से अप्रसन्न भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में लगातार तीन मुख्यमंत्री बदले। लेकिन तमाम चुनौतियों से जूझने के बाद भी भाजपा इस मिथक को तोड़ने में कामयाब रही और उसने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में दुबारा सरकार बनाने में सफलता हासिल की।
गुजरात में 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 182 सीटों वाले सदन में 149 सीटों पर जीत हासिल कर विजय का एक नया रिकॉर्ड बनाया था। तब से अब तक कोई राजनीतिक दल इस आंकड़े के आसपास भी नहीं आ पाया। स्वयं कांग्रेस भी इस सफलता को कभी दोहरा नहीं सकी। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व और पीएम नरेंद्र मोदी की छवि के सहारे भाजपा ने इस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। पार्टी ने रिकॉर्ड 156 सीटों पर जीत हासिल की। 1985 में जीत का रिकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेस के नाम 2022 में राज्य में सबसे कम (केवल 17) सीटों पर सिमट जाने का शर्मनाक रिकॉर्ड भी जुड़ गया।
पार्टी को यहां मिली हार
भाजपा को इस साल हिमाचल प्रदेश और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। चूंकि, हिमाचल प्रदेश को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह प्रदेश के तौर पर देखा जाता है और यहीं से उसके लोकप्रिय केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर आते हैं, लिहाजा यहां की हार पार्टी के लिए बड़ी हार के तौर पर देखी गई। मोदी-शाह वाली भाजपा में पहली बार हिमाचल प्रदेश में पार्टी अनुशासन टूटता हुआ भी दिखाई पड़ा, जहां टिकट न पाने से नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं ने ही उसका खेल बिगाड़ दिया। इसी तरह दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 साल से काबिज भाजपा का आम आदमी पार्टी के हाथों हार जाना भी बड़ा झटका माना जाता है।
लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की तुलना में एक फीसदी से भी कम वोटों के अंतर से हारना और दिल्ली नगर निगम में 15 साल के एंटी इनकमबेंसी फैक्टर के बाद भी 250 सीटों वाले सदन में 104 सीटें हासिल कर लेना मतदाताओं के बीच उसकी लोकप्रियता बरकरार रहने के तौर पर देखा गया।
अब सामने हैं ये चुनौतियां
2024 के लोकसभा चुनाव के पहले 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड शामिल हैं। भाजपा के लिए मध्यप्रदेश और कर्नाटक में सत्ता बचाने की चुनौती है। पार्टी दक्षिण में अपना विस्तार करने के लिए तेलंगाना को निशाने पर लेकर चल रही है। पूर्वोत्तर में अपनी मजबूती बरकरार रखने के लिए भी भाजपा के लिए त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में पार्टी की जीत महत्त्वपूर्ण है। इन राज्यों की लोकसभा सीटें 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, लिहाजा पार्टी इन राज्यों में जीत के लिए भाजपा अपनी पूरी कोशिश करेगी।
बदलाव का संकेत
भाजपा ने 2022 में अपने लिए बड़े बदलाव के संकेत भी दिए हैं। पार्टी ने इसी साल हैदराबाद में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को पसमांदा समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए विशिष्ट कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया। अब तक सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप झेलने वाली भाजपा यदि पसमांदा समुदाय को अपने साथ जोड़ने में सफल रहती है, तो यह देश की राजनीति को बदलने वाला कदम भी साबित हो सकता है। जिस तरह 2014, 2019 के लोकसभा चुनावों और यूपी-गुजरात के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत मिली है, इससे यह संकेत मिले हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय का एक तबका अब उसके प्रति बदलाव की नजर से देख रहा है। यदि भाजपा का पसमांदा कार्ड चला तो देश की परंपरागत राजनीति में बड़ा बदलाव आना तय है।
भाजपा नेता बोले- मजबूत हो रहा जनता का भरोसा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने यह बताया है कि सत्ता शासन करने का नहीं, बल्कि सेवा करने का माध्यम होती है। इसके जरिए वे देश के गरीबों, पिछड़ों और दलितों को समाज की मुख्यधारा में लाने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले आठ वर्षों में देश के गरीबों-दलितों और आदिवासियों के जीवन स्तर में आ रहा सुधार यह बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लक्ष्य में सफलता हासिल कर रहे हैं।
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अगले वर्ष में भाजपा के सामने क्या चुनौती होगी, इस प्रश्न पर प्रेम शुक्ला ने कहा कि यूपी-उत्तराखंड से लेकर गुजरात तक में भाजपा को मिल रही जीत यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पीएम मोदी के ऊपर देश की जनता का विश्वास लगातार मजबूत हो रहा है। यही कारण है कि 2023 या 2024 में वे भाजपा की राह में कोई चुनौती नहीं देखते। उनकी चुनौती इस बात के लिए अवश्य रहेगी कि वे देश की जनता की उम्मीदों पर कैसे ज्यादा से ज्यादा खरे उतरें और उसका भरोसा हासिल करें।