कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पर राज्य सरकार को अतिरिक्त जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। सरकार को 31 जुलाई तक यह हलफनामा दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी।

हिंसा मामले को लेकर हाईकोर्ट ने ममता सरकार को दिया समय
चुनाव बाद हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल सहित पांच जजों की पीठ में पेश की गई। इस बीच, कुछ वकीलों ने कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार जारी रखा है। वकील सप्तांगशु बसु ने कहा कि वह तृणमूल नेताओं पार्थ भौमिक और ज्योति प्रिय मल्लिक से पूछताछ करेंगे। हालांकि उनका तर्क था कि वकीलों ने बहिष्कार करने का फैसला किया है, इसलिए मामले को सोमवार तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए।
जनहित याचिकाकर्ता प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि राज्य की जनता पिछले तीन महीनों से चुनाव के बाद की हिंसा से पीड़ित है। ऐसे में आवेदन की सुनवाई में तेजी लाने की जरूरत है। इस बीच, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कांकुरगाछी के अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट पेश की। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि उसे मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को पढ़ने के लिए और समय चाहिए। इसलिए इसे फिलहाल के लिए टाल दिया जाए।
इसके बाद बेंच ने कहा कि राज्य को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए सिर्फ 31 जुलाई तक का समय दिया जाएगा। मानवाधिकार आयोग के वकील सुबीर सान्याल ने कहा कि रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी कई शिकायतें मिलीं। इनमें से 16 ऐसे मामले हैं जहां पुलिस या क्षेत्र के नेता अपनी शिकायतें वापस लेने की धमकी दे रहे हैं। मैं इस पर अतिरिक्त रिपोर्ट देना चाहूंगा, लेकिन बेंच ने अनुमति नहीं दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी।
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उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष 95 पृष्ठ का हलफनामा प्रस्तुत किया था। इस हलफनामे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्षों का बिंदु-दर-बिंदु खंडन किया गया है।
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