मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि वीर सैनिकों ने आजादी के बाद हर संघर्ष में अप्रतिम शौर्य का परिचय दिया है। शहीदों की शहादत के कारण ही आज हम सुरक्षित हैं। ऐसे सरहद पर खड़े धरती मां के रखवालों को जवानों को दिल से सलाम।
मुख्यमंत्री ने रविवार को मसूरी में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) एकेडमी मेंआईटीबीपी के 42 सहायक सेनानी (जी.डी.) एवं 11 सहायक सेनानी (अभियन्ता) की पासिंग आउट परेड समारोह में प्रतिभाग करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री ने बल के शहीदों को नमन करते हुए सभी 53 प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें आईटीबीपी जैसे उत्कृष्ट बल में सेवा करने का अवसर मिला, जिसके हिमवीर लद्दाख के कराकोरम पास से अरुणाचल प्रदेश के जेचप ला तक 3488 कि.मी. की अति दुर्गम सीमा की सुरक्षा पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य की समस्त जनता की ओर से बल कर्मियों के इस अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि,”ये देश चैन से सोता है,वो पहरे पर जब होता है,जो आंख उठाता है दुश्मन तो अपनी जान वो खोता है, उनकी वजह से आज सुरक्षित ये सारी अवाम है,सरहद पर खड़े रखवालों को दिल से मेरा सलाम है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं एक पूर्व सैनिक के पुत्र हैं और इस कार्यक्रम में प्रतिभाग कर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘वीर भोग्या वसुन्धरा’। हमारे आईटीबीपी के हिमवीर हमेशा मातृभूमि की सुरक्षा, अपने ध्येय वाक्य “शौर्य दृढ़ता, कर्म निष्ठा के साथ करते हैं। हिमालय में माउन्टेन क्लाईमबिंग हो या रीवर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेल-कूद या फिर सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के लिये कल्याणकारी गतिविधियों का आयोजन, प्रत्येक क्षेत्र में इस बल ने न केवल अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि अन्य बलों के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत किये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बल द्वारा आपदा प्रबंधन में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। बल के हिमवीरों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों को बेहद तत्परता एवं कुशलता के साथ किया है। 2013 की केदारनाथ आपदा तथा 2021 में तपोवन आपदा के समय आईटीबीपी द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए किए गए प्रयासों से जानमाल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सका। इस बल की ओर से हमारे राज्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा, चार धाम यात्रा तथा राज्य के सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में यात्रियों एवं आमजनमानस को सुरक्षा एवं मेडिकल कवर प्रदान करवाने की जिम्मेदारी को लगातार कई वर्षों से सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सैनिक की वीरता तो बाल्यकाल से देखी ही है पर उनके परिजनों का संघर्ष भी देखा है। उस मां- बाप का दर्द देखा है जिसका बेटा सीमा पर देश की आन, बान शान के लिये लड़ रहा है। कितना संघर्ष है एक सैनिक के जीवन में। इसके बावजूद भी दृढ़ता पूर्वक अपने देश के स्वाभीमान को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे पूरे समर्पण के साथ कार्य करेंगे और हमेशा अपने मातहतों के कल्याण को ध्यान में रखेंगे। एक कुशल और योग्य लीडर के रूप में अपने आपको साबित करेंगे। मुख्यमंत्री ने अकादमी के प्रशिक्षण स्टाफ को भी उत्कृष्ठ स्तर का प्रशिक्षण देने के लिए बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इसी प्रकार का बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान करते रहेंगे।
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इस मौके पर मंत्री गणेश जोशी, सुरजीत सिंह देसवाल,(आईपीएस) महानिदेशक,भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार,एडीजी अभिनव कुमार,दलजीत सिंह चौधरी,मनोज रावत एडीजी आईटीबीपी,निलाभ किशोर,(आईपीएस) महानिरीक्षक,निदेशक,भारत तिब्बत सीमा पुलिस अकादमी,अजयपाल सिंह,ब्रिगेडियर डाॅ.रामनिवास विशिष्ट जन उपस्थित रहे।