लखनऊ। केवल नदी नहीं संस्कार है गंगा, हमारे देश का श्रृंगार है गंगा – कुछ ऐसे विचारों के साथ नवयुग कन्या महाविद्यालय के 19 उत्तर प्रदेश गर्ल्स बटालियन के एनसीसी कैडेट्स द्वारा अतुल्य गंगा मिशन विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन मेजर (डॉ.) मनमीत कौर सोढ़ी के दिशा निर्देशन में तथा प्राचार्य डॉ सृष्टि श्रीवास्तव की अध्यक्षता में किया गया।
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केवल नदी नहीं संस्कार है गंगा, हमारे देश का श्रृंगार है गंगा…
इस परिचर्चा में 19 बटालियन की प्रशासनिक अधिकारी मेजर गीता श्रीवास्तव भी उपस्थित रहीं और कैडेट्स को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि एनसीसी एक ऐसा युवा संगठन है जिसमें बदलाव लाने की क्षमता है। यदि हम स्वयं में बदलाव लाएंगे तो पूरी दुनिया मैं बदलाव संभव है। जन जागरण अभियान में युवा कैडेट्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कैडेट कीर्ति, वसुंधरा, सुहासिनी, साक्षी, शीतल, अलीमा, निधि, प्रियंका, शुभ लक्ष्मी, आयुषी, श्रेया,श्रद्धा, कोमल, काजल, शिवांगी, प्राची, प्रिया, भावना, नंदिनी आदि कैडेट्स ने मिशन पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा- गंगा की बात क्या करूं गंगा उदास है न अब वह रूप रंग है न वह मिठास है। सभी ने इस बात को स्वीकार किया कि जन सहभागिता से ही गंगा नदी का पुनरुद्धार संभव है, जिसके लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। केवल नदी नहीं संस्कार है गंगा, हमारे देश का श्रृंगार है गंगा…
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एक छोटा कदम भी एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है, इसलिए हम सभी को अपने दायित्वों का निर्वाह पूरी निष्ठा के साथ करना होगा। देश के पूर्व सैनिकों द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए आरंभ की गई पदयात्रा के 3 प्रमुख स्तंभों- मुंडमाल गंगा परिक्रमा, प्रदूषण एवं जन सहभागिता पर भी चर्चा की गई। इस परिक्रमा के दौरान 500 प्रहरीयों की खोज की जाएगी जो 5 किलोमीटर तक की गंगा को अपनाएंगे और हर 15 दिन में उसके जल की जांच करके संबंधित विभाग को भेजेंगे जिससे इस बात का पता चलेगा कि अलग-अलग स्थान पर गंगाजल की गुणवत्ता में पहले से कितना सुधार हो रहा है और कहां पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। इस यात्रा के दौरान गंगाजल भूजल और मिट्टी की सैंपलिंग भी होगी तथा मार्ग में पौधरोपण भी किया जाएगा। केवल नदी नहीं संस्कार है गंगा, हमारे देश का श्रृंगार है गंगा…
डॉ सृष्टि श्रीवास्तव ने कैडेट्स को सामाजिक दायित्व के प्रति हमेशा जागरूक रहने के लिए शुभकामनाएं दी तथा मिलजुल कर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम संयोजक मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी ने कहा कि हमें धार्मिक आस्था के नाम पर अपनी रूढ़िवादी सोच को परिवर्तित करना होगा क्योंकि हमारे द्वारा विसर्जित की गई विभिन्न प्रकार की सामग्री नदियों को प्रदूषित कर रही है जो प्राणी मात्र के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो रही है इसलिए यदि हम अभी भी सचेत ना हुए तो भविष्य में गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा। इस परिचर्चा में बड़ी संख्या में कैडेट्स उपस्थित रहीं। केवल नदी नहीं संस्कार है गंगा, हमारे देश का श्रृंगार है गंगा…