शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से शुरू हो जाएंगे। अब 9 दिनों तक माता की जय जयकार सुनाई देगी। नवरात्र की हर एक तिथि को मां के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा की जाती है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्र होते हैं। इस साल नवरात्रि 7 से 15 अक्टूबर तक है। 7 अक्टूबर, गुरुवार को प्रतिपदा तिथि को सूर्य और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे । कलश स्थापना प्रातःकाल कन्या लग्न में 6ः02 से 06ः50 मिनट तक व अभिजीत मुहूर्त में 11ः30 से 12ः17 मिनट के बीच करना शुभ रहेगा। उधर देवी मंदिरों में आज तैयारियां जोरों पर थीं । मंदिर को बिजली की झालरों से सजाया जा रहा था। नवरात्र पूजन को लेकर भक्तों में उत्साह दिखा।
देवी पूजन व कलश स्थापना का मुहूर्त
अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य पं. एस.एस.नागपाल ने जानकारी दी कि प्रतिपदा तिथि 6 अक्टूबर को सांयकाल 4ः 34 मिनट से शुरू होकर 7 अक्टूबर को दिन मे 1ः 46 मिनट तक रहेगी । इस दिन प्रातःकाल 6ः02 से 06ः50 मिनट तक व अभिजीत मुहूर्त दिन में 11ः30 से 12ः17 मिनट तक कलश स्थापना करना शुभ रहेेगा। नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी
चतुर्थी की है हानि
उन्होंने बताया कि इस साल नवरात्रि 8 दिनों की होगी। तृतीया व चतुर्थी तिथि दोनों एक ही दिन 9 अक्टूबर, शनिवार को पड़ जाएगी। शनिवार को प्रातः 7ः 48 बजे तक तृतीया है और बाद में चतुर्थी प्रारम्भ होगी। उप्र संस्कृत संस्थान के ज्योतिष शास्त्र के पूर्व शिक्षक रहे पं. एस.डी. मिश्रा ने भी बताया कि चतुर्थी की हानि है। तृतीय और चतुर्थी दोनों की पूजा एक दिन 9 अक्टूबर को करना ही शुभ रहेगा।
ये हैं नवरात्र की तिथियां
शारदीय नवरात्र तिथियां 7 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि को मां शैलपुत्री की पूजा, 8 तारीख द्वितीय को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 9 को तृतीय को मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा, दोनों की पूजा एक ही दिन होगी। 10 अक्टूबर पंचमी को स्कंदमाता की पूजा, 11 अक्टूबर को षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा, 12 को सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा, अष्टमी, 13 अक्टूबर को मां महागौरी की पूजा व अंतिम दिन 14 अक्टूबर को नवती तिथि में मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। 15 अक्टूबर को दशमी तिथि पर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जायेगा।
मां दुर्गा की प्रसन्नता से दूर होते हैं कष्ट
पंडित जी ने बताया कि नवरात्र में घट स्थापना , जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ , हवन व कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। साधक के सभी रोग कष्ट दूर होते हैं। इच्छाएं पूर्ण होती हैं।