सियासत से अदालत तक सभी कर्नाटक हिजाब विवाद में हुए शामिल, समझें क्या कहते हैं नियम

नई दिल्ली. कर्नाटक (Karnataka) में शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं के हिजाब (Hijab) पहनने के मुद्दा गरमाया हुआ है. अब हाल ही में एक और खबर आई, जहां कुंडापुर स्थित कॉलेज में मुसलमानों को प्रवेश करने से रोका गया. उडुपी कॉलेज का यह मामला अदालत में है और राज्य सरकार ने भी हाईकोर्ट के आदेश तक संस्थानों से पोशाक को लेकर मौजूदा नियमों का पालन करने के लिए कहा है. करीब एक महीने पहले छात्राओं के विरोध के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और अब इसमें कई राजनेताओं की भी एंट्री हो चुकी है. बहरहाल, हम विस्तार से समझते हैं कि आखिर हिजाब से जुड़ा आखिर यह विवाद है क्या और अब तक इसमें क्या हुआ-

शुरुआत: लगभग एक महीने पहले, उडुपी स्थित सरकारी कॉलेज में हिजाब पहने हुए 6 छात्राओं को कक्षा में जाने से रोका गया. छात्राओं ने कॉलेज के बाहर ही इस फैसले का विरोध किया. इस विरोध में शामिल एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था. जबकि, अन्य छात्राओं ने दावा किया कि कक्षा में हिजाब पहनने से रोकने के चलते उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.

संविधान क्या कहता है: संविधान का अनुच्छे 25(1) ‘अंतरात्मा की आजादी और धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार देता है.’ यह अधिकार गांरटी देता है कि राज्य यह सुनिश्चित कर की इस स्वंत्रता में कोई भी दखल या बाधाएं न हों. हालांकि, सभी मौलिक अधिकारों की तरह राज्य सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता, स्वास्थ्य और अन्य हितों को लेकर इस पर पाबंदी लगा सकता है.

कानूनी पक्ष समझें: हिजाब का मुद्दा कई बार अदालत के सामने पहुंचा है. केरल हाईकोर्ट में फातिमा तसनीम बनाम केरल राज्य (2018) के मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि संस्था के सामूहिक अधिकारों को याचिकाकर्ता के व्यक्तिगत अधिकारों पर प्रधानता दी जाएगी. इस मामले में 12 और 8 साल की दो बच्चियां शामिल थी, जिनके पिता चाहते थे कि वे सिर पर स्कार्फ और पूरी आस्तीन की शर्ट पहनें. हालांकि, जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने अपील को खारिज कर दिया था, क्योंकि यह बताया गया कि ‘अपीलकर्ता-याचिकाकर्ता अब स्कूल नहीं जा रहे हैं और वे प्रतिवादी-स्कूल में शामिल नहीं हैं.’

राजनेताओं का क्या कहना है: भाषा के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों में इस मुद्दे पर विवाद शुरू होने और उच्च न्यायालय के समक्ष मामला पहुंचने के बीच मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सरकार के रुख के बारे में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश और शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ शुक्रवार को बैठक की. वहीं, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार पर हमला किया.

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राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने पत्रकारों को बताया कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के तहत नियम 2013, 2018 में तैयार किए गए थे. इसके तहत शैक्षणिक संस्थान और उनके SDMC के पास छात्रों की यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है. राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि स्कूल की यूनिफॉर्म ऐसी चीज है, जिसका पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बच्चों को फर्क भूलने और भारतीयों के रूप में एकजुट होने में मदद करती है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘छात्रों के हिजाब को शिक्षा के बीच लाकर हम भारत की बेटियों का भविष्य छीन रहे हैं. मां सरस्वती सभी को ज्ञान दें. वो फर्क नहीं करती हैं.’