भारतीय किसान परिषद (BKP) के नेतृत्व में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर मार्च कर रहे किसानों ने सोमवार को महामाया फ्लाईओवर के नीचे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे को पूरी तरह से जाम कर दिया। विरोध प्रदर्शन की वजह से कम से कम 10 किलोमीटर तक यातायात ठप हो गया है, जिससे इलाके में बड़ी दिक्कतें पैदा हो गई हैं। अधिकारी फिलहाल स्थिति को सुलझाने और एक्सप्रेसवे को फिर से खोलने के लिए प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि वे लगातार किसानों से संवाद कर रहे हैं और यातायात प्रबंधन पर भी नज़र रख रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ट्रैफ़िक एडवाइजरी भी जारी की गई है। लगभग 5,000 पुलिस अधिकारी और 1,000 पीएससी कार्यकर्ता तैनात किए गए हैं और पानी की बौछारें की जा रही हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पंजाब के किसानों द्वारा दिए गए अल्टीमेटम के बाद प्रशासन ने भी कमर कस ली है। दरअसल, किसानों ने MSP पर चर्चा की मांग को लेकर इस सप्ताह दिल्ली तक मार्च निकालने का अल्टीमेटम दिया है। इसी के चलते पुलिस ने नोएडा से दिल्ली आने-जाने वालों के लिए बैरिकेड्स लगा दिए हैं और एडवाइजरी जारी की है, क्योंकि भारतीय किसान परिषद (BKP) के नेतृत्व में किसानों का पहला समूह आज अपना मार्च शुरू करेगा।
13 फरवरी से चल रहा किसानों का विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी किसान दोपहर 12 बजे नोएडा के महा माया फ्लाईओवर से अपना मार्च शुरू करेंगे। मौके से मिली तस्वीरों में दिल्ली की ओर जाने वाली सड़क पर भारी ट्रैफिक जाम दिखाई दे रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली तक मार्च करने के उनके प्रयास को रोक दिया गया था।
6 दिसंबर से और भी किसान इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे, यह मार्च रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। आंदोलनकारी किसान रातें सड़क पर ही बिताएंगे।
किसान क्या मांग कर रहे हैं?
रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान 293 दिनों से शंभू और खनौरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने 18 फरवरी के बाद से किसानों के साथ कोई बातचीत नहीं की है। उन्होंने केंद्र पर बातचीत से बचने का आरोप लगाया और दोहराया कि किसान अनुबंध खेती को खारिज करते हैं और इसके बजाय फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग करते हैं।
केंद्रीय मंत्रियों – अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय – के तीन सदस्यीय पैनल ने 18 फरवरी को किसान प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की थी, लेकिन किसानों ने पांच साल तक एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
जानिये किसानों की अन्य मांगे
MSP पर कानूनी गारंटी के अलावा, प्रदर्शनकारी कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
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एक अन्य किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने बताया कि जब किसानों का पहला समूह 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च शुरू करेगा, तो केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु के अन्य किसान संगठन भी अपने-अपने राज्य विधानसभाओं की ओर मार्च निकालेंगे।