हिन्दू धर्म में कुंभ का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, साथ ही कुंभ का समय बहुत ही पावन माना गया है। कुंभ के दौरान गंगा आरती और दीपदान का बहुत महत्व माना जाता है। गंगा के पावन तट पर 24 ब्राह्मण 24 वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और उसके बाद गंगा आरती करते हैं। कई स्थानों पर संस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद देवताओं की झांकियां भी आयोजित की जाती हैं। इस दौरान भक्त अपने घरों को सजाते हैं और रंगीन रंगोली तैयार करते हैं।
सदियों से गंगा किनारे यह उत्सव एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी को सदैव से ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है। कुंभ का समय बहुत ही पावन माना जाता है। इस दौरान गंगा आरती के बाद दीपदान करने से समस्त प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस प्रकार दीपदान करने वाले भक्तों के घर किसी भी प्रकार के दुख का वास नहीं होता है। ऐसा करने वाले लोगों की समस्त विदाओं और बाधाओं का निवारण स्वयं ही हो जाता है।
कुंभ में ये काम जरुर करें
कुंभ के दौरान पवित्र जल में डुबकी लगाएं। कुंभ मेला हमेशा ही पवित्र नदी के किनारे लगता है। प्रयागराज में यह त्रिवेणी संगम नामक स्थान पर जहां (गंगा, यमुना और सरस्वती) नदियों का संगम है। हरिद्वार में यह गंगा नदी के किनारे लगता है। वहीं उज्जैन में क्षिप्रा नदी और नासिक में यह गोदावरी नदी के तट पर लगता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग कुंभ में यात्रा करने के लिए पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।
यह भी पढ़ें: चार साल की उम्र में श्रीदेवी ने की थी करियर की शुरुआत, इस फिल्म से बनी सुपरस्टार
अखाड़े का दौरा करें कुंभ मेले में भाग लेने वाले लगभग 13 अधिकारिक अखाड़े हैं। हालांकि उन अखाड़ों की कई शाखाएं भी हैं। विशेष रूप से सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है। इन 13 अखाड़ों के अलावा साधुओं के कई अन्य समुदाय, आध्यात्मिक संगठन, और त्यागियों के समूह में भाग लेते हैं।