लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मिट्टी ने एक बार फिर इतिहास रचा है। सीमांत जनपद कुशीनगर के चकिया दुबौली गांव से निकलकर शिक्षा और नवाचार की राह पर बढ़े डॉ. अमित कुमार द्विवेदी का नाम अब पूरे देश में रोशन हो गया है।
भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय ने उन्हें वर्ष 2025 के नेशनल अवॉर्ड टू टीचर्स के लिए चयनित किया है। यह सम्मान उन्हें 5 सितंबर, शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली के प्रतिष्ठित विज्ञान भवन में राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किया जाएगा। डॉ. द्विवेदी को उनके प्रोजेक्ट देवभूमि उद्यमिता योजना के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच पुरस्कार भी मिल चुका है, जिसे ईडीआईआई उत्तराखंड में लागू कर रहा है।
वह वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग, लद्दाख के लिए ‘एंटरप्राइजिंग लद्दाख’ अभियान के माध्यम से वहां के युवाओं में उद्यमिता की संस्कृति विकसित करने पर काम कर रहे हैं। शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। अब तक वे 40 से अधिक शोधपत्र, 10 ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (जीईएम) राष्ट्रीय रिपोर्ट्स, चार पुस्तकें और अनेक केस स्टडीज लिख चुके हैं।
बता दें कि देशभर से चयनित 21 शिक्षकों की सूची में डॉ. द्विवेदी को 15वां स्थान मिला है। डॉ. द्विवेदी की शुरुआती पढ़ाई कुशीनगर के पडरौना ब्लॉक के सखवनिया बुजुर्ग गांव में हुई, जहां उनके नाना और शिक्षाविद् पंडित श्रीकांत मिश्र (मठिया माधोपुर निवासी) ने आजादी से पहले महात्मा गांधी इंटर कॉलेज की नींव रखी थी। फिर उन्होंने गोरक्षपीठ की देखरेख में संचालित महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज से कॉमर्स की पढ़ाई की और लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे।
यहां से पूर्व उपमुख्यमंत्री व शिक्षाविद् डॉ. दिनेश शर्मा के निर्देशन में पीएचडी की। पीएचडी के बाद कुछ समय तक लखनऊ में शैक्षणिक कार्य करने वाले डॉ द्विवेदी ने आईआईएम अहमदाबाद में सेवाएं दीं और अब ईडीआईआई अहमदाबाद से जुड़कर एंटरप्रेन्योरशिप शिक्षा में नवाचार का कार्य कर रहे हैं।
डॉ. द्विवेदी की यह उपलब्धि न केवल कुशीनगर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का क्षण है। गांव की गलियों से शुरू हुआ यह सफर आज राष्ट्रीय मंच तक पहुँच कर यह संदेश दे रहा है कि प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती, मेहनत और लगन से गाँव का बेटा भी विज्ञान भवन तक गूंज सकता है।
उनके पिता बंका द्विवेदी का कहना है कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। अमित ने बचपन से ही पढ़ाई में लगन दिखाई। आज उसका नाम पूरे देश में हो रहा है, इससे बड़ा सुख और क्या हो सकता है।
माता कामना कहती हैं कि हमने बेटे को संस्कार और मेहनत का महत्व सिखाया। आज वही मेहनत उसे इस मुकाम तक ले गई है। उसकी यह उपलब्धि पूरे गांव, जिले और प्रदेश व देश की शान है।
उनके मामा सरोजकांत का कहना है कि गांव की प्रतिभा किसी से कम नहीं होती। अमित ने न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे कुशीनगर और उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया है। युवा पीढ़ी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।