मोदी के नाम तक से दूरी, गुजरात में केजरीवाल की ऐसी क्या मजबूरी, बच-बचकर वार

गुजरात विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने भी यहां पूरा जोर लगा दिया है। आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात में खूब मेहनत कर रहे हैं। अगस्त के पहले सप्ताह में ही वह तीन दिन भाजपा के गढ़ में बिता चुके हैं तो 10 को फिर दौरा करने वाले हैं। जिस ‘गुजरात मॉडल’ के जरिए भाजपा ने पूरे देश में लगातार दूसरी बार परचम लहराया है, वहां केजरीवाल ‘दिल्ली मॉडल’ के सहारे भगवा दल को चोट देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक पंडित इस बात पर भी गौर कर रहे हैं कि केजरीवाल भाजपा पर हमला करने में तो कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते हैं, लेकिन वह पीएम मोदी का नाम लेने से बच रहे हैं।

क्या है केजरीवाल की रणनीति

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत पीएम मोदी का नाम लेने से बच रहे हैं। दरअसल, 2 दशक से नरेंद्र मोदी गुजरात के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। तीन बार गुजरात में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद वह पिछले 8 साल से देश के प्रधानमंत्री हैं। अधिकतर गुजराती उन्हें राज्य के गौरव के रूप में देखते हैं। भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी भावनाएं हो सकती हैं, लेकिन मोदी का जादू अपने गृहराज्य में कायम है। पीएम मोदी की इसी लोकप्रियता की वजह से भाजपा उन्हीं के नाम और काम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केजरीवाल कांग्रेस को दरकिनार करते हुए भाजपा और आप में मुकाबले की बात तो कहते हैं लेकिन वह ‘मोदी Vs केजरीवाल’ बनाने से बच रहे हैं।

मोदी से सीधे टकराव का जोखिम

दरअसल, 2014 से 2019 तक अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के खिलाफ बेहद मुखर रहे। कई बार तो उन्होंने ऐसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया जिनको लेकर उनकी आलोचना की गई। वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके अरविंद केजरीवाल ने 2019 लोकसभा चुनाव के बाद अपनी रणनीति में बदलाव किया। दिल्ली के सीएम ने पीएम मोदी की बजाय भाजपा का ही नाम लेते थे तो कई राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार के विरोध से भी बचते नजर आए। माना गया कि मोदी के खिलाफ तीखी बयानबाजी से पार्टी को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, केजरीवाल इस बात से भी परिचित हैं कि मोदी अपने खिलाफ हमलों को हथियार बनाने में माहिर हैं और अपनी इस कला से उन्होंने कई बार कांग्रेस को पटखनी दी है।

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दिल्ली में गरम, गुजरात में नरम

पंजाब में जीत हासिल करने के बाद उनके तेवर एक बार फिर बदले हैं। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के दोनों बड़े नेता उनसे डरते हैं। हालांकि, केजरीवाल अभी पीएम मोदी को लेकर दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं। वह दिल्ली में भले ही पीएम पर सीधा निशाना लगाने से नहीं चूकते, लेकिन गुजरात में वह राज्य सरकार के कामकाज की ही बात करते हैं। वह भाजपा की आलोचना से ज्यादा मुफ्त बिजली, पानी, रोजगार जैसे वादों पर बात करते हैं, जिनके सहारे उन्होंने पहले दिल्ली और पंजाब में जीत हासिल की है।