दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपित शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी है। एडिशनल सेशंस जज अनुज अग्रवाल ने कहा कि शरजील इमाम के भाषण विभाजनकारी थे, जो समाज में शांति और सौहार्द्र को प्रभावित करने वाले थे।

शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल है चार्जशीट
कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हमारे संविधान में सर्वाधिक महत्व है लेकिन इसका उपयोग समाज की सांप्रदायिक शांति और सौहार्द्र को भंग करने के लिए नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि 13 दिसंबर, 2019 को शरजील इमाम के ट्रांसक्रिप्ट को सरसरी तौर पर पढ़ने से साफ जाहिर होता है कि उसने समाज में तनाव और अशांति पैदा करने के मकसद से भाषण दिया था। शरजील इमाम के भाषणों ने दंगाइयों को उकसाने का काम किया।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्वामी विवेकानंद की उक्ति को उद्धृत करते हुए कहा कि हम वो हैं जो हमारे विचार ने हमें बनाया है। इसलिए हमें अपनी विचारधारा पर ध्यान देने की जरूरत है। विचारों की यात्रा काफी लंबी होती है।
शरजील इमाम को 25 अगस्त, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा है कि शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था।
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शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
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