दिल्ली हाईकोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, पिता को दे दिया तगड़ा झटका

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत पर कथित तौर पर आधारित फिल्म ‘न्याय: द जस्टिस’ की सिनेमाघरों और ओटीटी मंचों पर रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसे व्यक्ति के ‘असाधारण’ जीवन की कहानी में कोई ‘खराब हित’ नहीं है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि ऐसा दिखाने के लिए कुछ नहीं है जिसका राजपूत की छवि पर ‘कोई हानिकारक असर’ पड़ेगा क्योंकि उनके जीवन पर बन रही फिल्में उन बातों पर आधारित है जो पहले ही जनता को मालूम हैं।

राजपूत के पिता ने एकल पीठ के फिल्म ‘न्याय: द जस्टिस’ की रिलीज या किसी को भी उनके बेटे के नाम या उससे मिलते जुलते नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोई लिखित पटकथा या कहानी नहीं है जो फिल्म निर्माता ने इस्तेमाल की और उसने सुशांत के पिता की अपील पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है जो निर्माताओं ने इस्तेमाल किया या कर सकते हैं जो पहले से ही जनता को उपलब्ध जानकारी से अलग हो। जीवन की ऐसी कहानी में कोई खराब हित नहीं है क्योंकि उस व्यक्ति का जीवन असाधारण था।’

पीठ ने फिल्म के निर्देशक दिलीप गुलाटी और प्रोड्यूसर सरला सरावगी और राहुल शर्मा तथा अन्य से इस पर जवाब मांगा है। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर लाल की इस दलील पर गौर किया कि फिल्म को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 11 जून को वेबसाइट और एक मोबाइल ऐप पर रिलीज किया गया। राजपूत के पिता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि फिल्म के प्रोड्यूसर और निर्देशक ने अभिनेता के जीवन की कहानी का कमर्शियल उद्देश्य के लिए गलत इस्तेमाल किया है।

अभिनेता ने पिछले साल मुंबई में अपने घर में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। साल्वे ने दलील दी कि एकल न्यायाधीश ने पुट्टास्वामी मामले (निजता के अधिकार) में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए कानून की गलत व्याख्या की और गलत निर्देश दिए। सुनवाई की शुरुआत में फिल्म के निर्देशक की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि फिल्म को लपालप ऑरिजिनल नाम के ओटीटी मंच पर रिलीज किया गया है। साल्वे ने कहा, ‘‘यह कोई अस्पष्ट मंच है और भगवान ही जानता है कि यह किस तरह की वेबसाइट है।’’

उन्होंने कहा कि यह फिल्म हर दिन निजता के अधिकार और निष्पक्ष मुकदमे के अधिकार का उल्लंघन कर रही है और अभिनेता की छवि खराब कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इस फिल्म में उनके जीवन को दिखाने की कोशिश की गई है। उनके साथ असल में क्या हुआ था, उसकी जांच अब भी चल रही है। आप इतनी जल्दी कुछ कह नहीं सकते।’’

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उच्च न्यायालय ने पहले पूछा था कि राजपूत की जिंदगी पर कथित तौर पर आधारित ‘न्याय: द जस्टिस’ 11 जून को रिलीज की जा चुकी है क्योंकि फिल्म के निर्देशक और अभिनेता के पिता ने इस पर विरोधाभासी बयान दिए थे। एकल न्यायाधीश ने 10 जून को ‘न्याय : द जस्टिस’ समेत कई फिल्मों की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि ये फिल्में न तो बायोपिक के तौर पर और न ही अभिनेता की जिंदगी में जो हुआ उसे तथ्यात्मक रूप से दिखाती हैं। अभिनेता की जिंदगी पर आधारित कुछ आगामी या प्रस्तावित फिल्मों में ‘सुसाइड ओर मर्डर : ए स्टार वाज लोस्ट’, ‘शशांक’ और एक बेनाम फिल्म शामिल है।