श्रीलंका में भीषण आर्थिक संकट के बीच राजनीतिक संकट भी बढ़ता जा रहा है। अब विपक्ष ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। यह अविश्वास प्रस्ताव बुधवार को सौंपा जाएगा। इस बीच संकटग्रस्त सरकार ने नए संविधान के प्रस्ताव पर विचार के लिए एक कैबिनेट उप समिति के गठन का ऐलान किया है।
मुख्य विपक्षी दल समागी जना बालवेगया (एसजेबी) ने कहा कि वे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, जबकि मुख्य तमिल पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) संयुक्त रूप से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। एसजेबी के वरिष्ठ नेता अजित परेरा ने कहा कि हम कल (बुधवार) अविश्वास प्रस्ताव सौंपेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार एसजेबी के अविश्वास प्रस्ताव में हार जाती है तो प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और कैबिनेट को इस्तीफा देना होगा।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वीडियोग्राफी और सर्वे पर मुस्लिम पक्षकार के विरोध पर सवाल,संत समाज मुखर
पूर्व प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि यह समस्या तभी हल हो सकती है जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री में से कोई भी इस्तीफा दे दे। निर्णय उनके ऊपर है। इन दिनों श्रीलंका में राजनीतिक बैठकों की झड़ी लग गई है क्योंकि महिंद्रा राजपक्षे ने अंतरिम अवधि के लिए मिली-जुली सरकार हेतु रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। सरकार ने मंगलवार को एक नए संविधान के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति के गठन की घोषणा की। अर्थव्यवस्था को संभालने में नाकामी के लिए सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने एक जवाबदेह प्रशासन बनाने के लिए संविधान में संशोधन का प्रस्ताव दिया था।