शिमला। लोक निर्माण विभाग के एक क्लर्क ने धोखाधड़ी के जरिए कर्मचारियों के विभिन्न मदों के पैसे को अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। दो साल तक वह जालसाजी कर कर्मचारियों के 10 लाख रूपये डकार गया। 3 साल पहले हुए इस घपले में भ्रष्टाचार एवं सतर्कता विभाग ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई और अब नाहन स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। लोनिवि इस आरोपी को निलंबित कर चुकी है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी लोकनिर्माण विभाग नाहन में जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत था। वह कार्यालय में बिल क्लर्क का जिम्मा संभाल रहा था। कर्मचारियों के जीपीएफ सहित मेडिकल, टीए, इनकेशमेंट इत्यादि की बिलिंग का दायित्व उसके पास था।
मामले के अनुसार आरोपी बिल क्लर्क ने टोकन रजिस्टर में हेरफेर किया, झूठे बिल तैयार किए और कर्मचारियों के खातों में राशि हस्तांतरित करने के बजाय, धोखे से अपने ही बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी। विजिलेंस जांच में सामने आया कि आरोपी ने वर्ष 2016 से 2018 के दौरान अपने स्वयं के खाते में लगभग 10 लाख रुपये का घपला किया था। विजिलेंस ने सरकार धन का गबन करने पर वर्ष 2017 में उसके विरूद्व नाहन में एफआईआर दर्ज की थी।
एडीजीपी विजिलेंस अनुराग गर्ग ने शुक्रवार को बताया कि आरोपी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने के बाद विशेष न्यायाधीश नाहन की अदालत के समक्ष धोखाधड़ी, गबन, भ्रष्टाचार और अभिलेखों के गलत इस्तेमाल के लिए चार्जशीट दायर की गई है।