लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन के बीच जारी विवाद के बीच एक नई जानकारी प्राप्त हुई है जिससे चीन की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। दरअसल, भारत के खिलाफ अभी तक चीन जमीन पर तो साजिश रच ही रहा था, लेकिन अब ड्रैगन ने पानी में भी जाल बिछाना शुरू कर दिया है। दरअसल, चीन ने हिन्द महासागर में जासूसी के लिए नई साजिश रची है।
चीन ने चली है यह चाल
इस बात की जानकारी अमेरिकी रक्षा विश्लेषक से हुई है। इन रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि चीन हिंद महासागर में बड़े स्तर पर अंडरवॉटर ड्रोन्स को तैनात कर रहा है। चीन इन अंडरवॉटर ड्रोन्स का इस्तेमाल भारत के खिलाफ खुफिया निगरानी के लिए कर सकता है।
एक न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मामलों के विश्लेषक एचआई सटन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने हिंद महासागर में सी विंग (हेयी) ग्लाइडर्स नाम से जाने जाने वाले अंडरवॉटर ड्रोन्स का एक बेड़ा तैनात किया है। ये ना सिर्फ महीनों तक काम कर सकते हैं बल्कि नौसेना की खुफिया मकसद के तहत निगरानी भी कर सकते हैं।
एचआई सटन के मुताबिक चीन इन ग्लाइडर्स को बड़े स्तर पर तैनात कर रहा है। ये ग्लाइडर्स भूमिगत जल वाहन बेड़े यानि अनक्रूड अंडरवॉटर व्हीकल का ही एक स्वरूप हैं। इन्हें 2019, दिसंबर के मध्य में लॉन्च किया गया था। फरवरी में चीन ने अंडरवॉटर ड्रोन वापस ले लिए थे लेकिन इस दौरान अंडरवॉटर ड्रोन ने 3,400 से ज्यादा जानकारी जुटाई हैं। खास बात ये कि इन व्हीकल में प्रॉपेलिंग के लिए कोई ईंधन प्रणाली नहीं है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ये ड्रोन बड़े विंग्स के सहारे समुद्र में नीचे ग्लाइड करते रहते हैं। ये तेज नहीं होते लेकिन लंबे मिशन पर काम करने में कारगर साबित होते हैं। संभावना है कि चीन ने खुफिया मकसद के लिए इन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया है।
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रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीन के ये ग्लाइडर्स वैसे ही हैं, जैसे अमेरिकी नौसेना ने तैनात किए थे और चीन ने 2016 में इनमें से एक को रास्ते से गुजरने वाले जहाजों के लिए सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने का हवाला देकर जब्त कर लिया था। सटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद महासागर में ये चीनी ग्लाइडर्स कथित रूप से समुद्र विज्ञान से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। समुद्र विज्ञान डाटा का इस्तेमाल नौसेना के खुफिया मकसद के लिए भी किया जाता है। यही चीन के खतरनाक मकसद को लेकर आशंका पैदा करता है।