17 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 8 चीते छोड़े जाएंगे। नामीबिया से लाए जा रहे इन चीतों को पीएम मोदी खुद कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ेंगे। इन चीतों को एक बोइंग 747-400 विमान से भारत लाया जा रहा है। ये विमान चीतों को लेकर नामीबिया की राजधानी विंडहोक से भारत के लिए उड़ान भरेगा। इस दौरान चीते पिंजड़े में बंद रहेंगे और कई पशु चिकित्सकों की निगरानी में रहेंगे। विमान इस उड़ान के दौरान ईंधन भरने के लिए भी नहीं रुकेगा। शनिवार की सुबह ये विमान जयपुर पहुंचेगा। जयपुर से उन्हें हेलिकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। इस तरह से देश में एक बार फिर विलुप्त हुए चीतों का पुनर्वास किया जाएगा।
नामीबिया में भारतीय उच्चायोग ने ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की है जिसमें दिखाया गया है कि दक्षिणी अफ्रीका से आठ चीतों को लाने के लिए यात्रा करने वाले विमान में भारत के राष्ट्रीय पशु, बाघ के आकार में विमान के सामने की ओर से चित्रित किया गया है। इसके साथ ही इसके कैप्शन में लिखा है। एक विशेष पक्षी जो सद्भावना दूतों को बाघों की भूमि पर ले जाने के लिए बहादुर की भूमि में उतरा है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने पोस्ट को रीट्वीट करते हुए कहा, “भारत इन ‘सद्भावना राजदूतों’ का स्वागत करने के लिए इंतजार नहीं कर सकता। देश में चुप रहने के दशकों बाद पूरा देश एक बार फिर उनकी आवाज सुनने का इंतजार कर रहा है।”
आइए आपको बताते हैं नामीबिया से आए इन चीतों के पुनर्वास योजना के बारे में 10 बड़ी बातें।
नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के समूह में 5 चीता मादा हैं और 3 चीता नर हैं। इनमें मादा चीतों की उम्र 2 से 5 साल के बीच है और नर चीतों की उम्र 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है।
भारत से एक बड़े मांसाहारी जानवर का पूरी तरह से सफाया हो चुका था। जिसके पीछे शिकार, खेल, जंगलों का कटना और कई पर्यावरण संबंधी वजहें जैसे जंगलों का कटना इत्यादि रहा है।
भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया। 74 साल पहले देश में आखिरी चीता की मौत हुई थी जिसके बाद अब भारत नामीबिया से 8 चीता लाने को तैयार हुआ है।
3 नर चीतों में दो भाई शामिल हैं जो जुलाई 2021 से नामीबिया में चीता संरक्षण कोष के रिजर्व में रहते हैं। दूसरा नर चीता साल 2018 में दूसरे रिजर्व में पैदा हुआ था।
एक मादा चीता दक्षिणपूर्वी नामीबिया में गोबाबिस के निकट एक जलकुंड में पाई गई थी। वो कुपोषण की वजह से काफी कमजोर हो गई थी जिसे साल 2020 में चीता संरक्षण कोष के रिजर्व में लाया गया था। अनुमान के मुताबिक उस चीते की मां जंगल की आग में मर गई हो।
दूसरी मादा चीता को सीसीएफ रिजर्व के पास के एक खेत में पकड़ लिया गया था। जबकी तीसरी मादा चीता का अप्रैल 2020 में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में पैदा हुई थी।
भारत में चीता की प्रजातियों को पुन: एक बार फिर से बसाने के लिए नामीबिया से लाई जा रही हैं ये बिल्लियों के प्रजाति के 8 चीते।
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चौथा 2017 में एक खेत में कुपोषित अवस्था में मिला था।
पांचवीं मादा चीता 2019 में मिली थी। चौथी और पांचवीं ‘सबसे अच्छी दोस्त’ हैं और वे हमेशा एक साथ पाई जाती हैं।
नामीबिया से लाए जा रहे इन सभी 8 चीतों को पहले 30 दिनों के लिए क्वारंटाइन क्लोजर में रखा जाएगा और फिर उन्हें 6 वर्ग किमी प्रीडेटर-प्रूफ सुविधा में छोड़ा जाएगा।