केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 5 सालों में लाखों कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया है. केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, अनुपालन में कमी के कारण कई कंपनियों को बंद कर दिया गया. सरकार ने राज्यसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान यह जानकारी दी.

3.96 लाख से अधिक कंपनी रिकॉर्ड से बाहर
दरअसल, कंपनी कानून के तहत उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद पिछले पांच वित्त वर्षों में 3.96 लाख से अधिक कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया गया. सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. कंपनी अधिनियम, 2013 को लागू करने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष में सरकारी रिकॉर्ड से 12,892 कंपनियों को हटाया, जबकि 2019-20 में यह संख्या 2,933 थी.
सदन के दौरान किया गया सवाल
कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्य सभा सत्र के दौरान एक लिखित उत्तर में ये आंकड़ा उपलब्ध कराया. ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच वित्त वर्षों में कुल 3,96,585 कंपनियों को कंपनी पंजीयक से हटाया गया है. वर्ष 2016-17 में कुल 7,943 कंपनियों को रजिस्टर से हटाया गया, जबकि वर्ष 2017-18 में यह संख्या 2,34,371 और वर्ष 2018-19 में 1,38,446 थी.
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राज्य मंत्री ने दी ये जानकारी
यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या अनुपालन में कमी के कारण कई कंपनियों को बंद कर दिया गया? राज्यमंत्री ने ‘हां’ में जवाब दिया. इससे संबंधित एक अलग लिखित जवाब में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) ढांचा प्रकटीकरण-आधारित है और सीएसआर के तहत आने वाली कंपनियों को सालाना आधार पर ऐसी गतिविधियों का ब्योरा एमसीए 21 रजिस्ट्री में दाखिल करना होता है.
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