बीते दिनों केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जारी किया गया गैजेट नोटिफिकेशन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। दरअसल, इस नोटिफिकेशन में गृह मंत्रालय ने तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए आवेदन मांगे थे, जो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को रास नहीं आया है और इस मुस्लिम संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस अधिसूचना को चुनौती दी है। मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट से इस अधिसूचना पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।
मुस्लिम लीग ने याचिका में उठाई मांग
दरअसल, मुस्लिम लीग ने CAA मामले में एक आवेदन दायर कर 28 मई की अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी है कि नागरिकता अधिनियम के प्रावधान धर्म के आधार पर आवेदकों के वर्गीकरण की अनुमति नहीं देते हैं। नागरिकता अधिनियम की धारा- 5 (1) (ए) (जी) पंजीकरण द्वारा योग्य लोगों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की इजाजत देता है जबकि अधिनियम की धारा-6 किसी भी व्यक्ति (अवैध प्रवासी को छोड़) को प्राकृतिककरण के जरिए नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देती है ।
मुस्लिम लीग ने सरकार की अधिसूचना कर उंगली उठाते हुए मांग की कि केंद्र सरकार द्वारा एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से दो प्रावधानों की कम करने का प्रयास किया गया है, जो अवैध है। लीग का कहना है कि यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता के अधिकार) की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।
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आपको बता दें कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि CAA कानून 1955 की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने कानून की धारा(5) के तहत यह कदम उठाया है। इसके अंतर्गत उपरोक्त राज्यों और जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए आवेदन मांगे गए हैं।