कारोबारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि कुछ बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने का प्रयास कर रही है। कैट ने मंगलवार को ई-कॉमर्स नीति पर श्वेत-पत्र जारी करते हुए कहा कि इन कंपनियों के पास भारी पूंजी का लाभ है। ऐसे में इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
कैट ने यहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इन कंपनियों ने ‘विक्रेताओं के साथ मार्केट प्लेस पर अपने संबंधों को इस तरह बनाया हुआ है कि वे अपने मंच पर विक्रेता या भंडार (इन्वेंट्री) पर नियंत्रण करने की स्थिति में हैं। इसके साथ ही ये ई-कॉमर्स कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों की जांच से भी बच निकलती हैं।’
कैट महामंत्री ने कहा कि विक्रेताओं पर इस तरह के नियंत्रण या स्वामित्व की आड़ में ये कंपनियां न केवल एफडीआई नीति का उल्लंघन, बल्कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण भी कर रही हैं। खंडेलवाल ने कहा कि सरकारी नीति के तहत एकल-ब्रांड खुदरा कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है, जबकि बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में मंजूरी मार्ग के जरिए 51 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति है। लेकिन, इसमें भी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) तथा छोटे व्यापारियों के कारोबार की रक्षा के लिए कई शर्तें शामिल हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि भंडार आधारित ई-कॉमर्स कारोबार कुछ और नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचालित बहु-ब्रांड खुदरा स्टोर है। क्योंकि एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स के इस तरह के मॉडल में एफडीआई की अनुमति नहीं है। हालांकि, प्रौद्योगिकी के प्रसार और इसके जरिये एमएसएमई और किराना की मदद करने को ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस स्थापित करने के लिए स्वत: मंजूर मार्ग से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है। इसके साथ एक ‘शर्त’ भी जुड़ी है कि इस तरह के प्रौद्योगिकी का संचालन करने वाली कोई भी संस्था या मंच किसी विक्रेता के भंडार या इन्वेंट्री का स्वामित्व पर नियंत्रण नहीं करेगी क्योंकि, यह बहु-ब्रांड खुदरा व्यापार के संचालन के समान होगा।
उन्होंने कहा कि ये शर्तें सख्त होने के साथ-साथ स्पष्ट भी हैं, लेकिन कुछ बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां जिनके पास काफी मात्रा में कोष उपलब्ध है। उन्होंने एफडीआई की शर्तो का उल्लंघन करने का प्रयास किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को व्यापारियों के बीच देशभर में बढ़ावा देने तथा ई कॉमर्स की विसंगतियों और कुप्रथाओं को दूर करने के उद्देश्य से कैट ने एक श्वेत पत्र जारी किया है। कारोबारी संगठन ने डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के बढ़ते महत्व, इस क्षेत्र के वर्तमान बाजार के आकार और इसके भविष्य के विकास, ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस प्लेटफॉर्म के बढ़ते महत्व सहित ई- कॉमर्स से संबंधित मौजूदा कानूनों का गहन अध्ययन के बाद वर्तमान में इस क्षेत्र में जो खामियां हैं, उसको लेकर एक श्वेत पत्र तैयार किया है।
खंडेलवाल ने कहा कि 50 पृष्ठों वाले इस श्वेत पत्र में पांच अध्याय हैं, जिसमें ई-कॉमर्स नीति में शामिल करने के लिए 27 सिफारिशें के साथ उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में शामिल करने के लिए 9 सिफारिशें शामिल हैं। उन्होंने कहा की हम उम्मीद करते हैं कि ई-कॉमर्स नीति जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी और ई-कॉमर्स में विकृतियां और असमानताएं समाप्त हो जाएंगी, जिससे देश में प्रतिस्पर्धी ई-कॉमर्स व्यापार वातावरण का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि ई- कॉमर्स मार्केट प्लेस द्वारा अर्जित डेटा का कहीं और उपयोग न हो यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा छोटे व्यापारियों, कारीगरों और शिल्पकारों आदि को सक्षम बनाने के लिए श्वेत पत्र में ऑनलाइन सामान बेचने से पहले विक्रेताओं के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण को समाप्त करने की भी सिफारिश की गई है। क्योंकि, कैट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार भारत के व्यापारियों को डिजिटल तकनीक से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।