बीते दिनों ख़त्म हुए उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सूबे की सत्तारूढ़ बीजेपी नीत योगी सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। जबकि समाजवादी पार्टी ने अच्छी वापसी की है। खुद को मिली इस हार के बाद अब बीजेपी ने उन प्रमुख कारणों का पता लगाना शुरू किया है, जिसकी वजह से उन्हें इस हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल, इस हार के बाद बीजेपी में मंथन शुरू हो गया है।
बीजेपी के पदाधिकारियों ने आयोजित की समीक्षा बैठक
मिली जानकारी के अनुसार, यूपी पंचायत चुनाव में हार का सामना करने के बाद बीजेपी ने समीक्षा बैठक की है। इस समीक्षा बैठेक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल, क्षेत्रीय अध्यक्ष और पंचायत चुनाव से जुड़े पदाधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान पंचायत चुनाव में पार्टी को मिली हार को लेकर मंथन किया गया।
बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान बीजेपी की हार के कई कारण सामने निकलकर आए। बैठक में चर्चा के दौरान निष्कर्ष निकला कि इस हार की एक वजह देश में फैला कोरोना वायरस है। इसी महामारी की वजह से बीजेपी उम्मीदवार चुनाव प्रचार के लिए लोगों से जन संपर्क नहीं सका, जिसका खामियाजा पार्टी को हार के रूप में उठाना पड़ा।
इसके अलावा ग्राम प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत चुनाव का एक साथ होना भी बीजेपी की इस हार का कारण बना है। इन चुनाव के एक साथ होने की वजह से भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा है। बतया गया कि पार्टी का जो ग्रास रूट वर्कर था, वह अपने चुनाव में प्रधानी बीडीसी में लगा रहा, जिसके चलते जिला पंचायत वार्ड के उम्मीदवार के प्रचार में सक्रियता नहीं दिखा पाए।
इसके अलावा बैठक में कुछ क्षेत्रीय अध्यक्षों ने इस बात पर भी जोर दिया कि कहीं ना कहीं अति आत्मविश्वास की वजह से भी नुकसान उठाना पड़ा है। क्योंकि कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों को लग रहा था की सरकार होने का फायदा मिलेगा और इसलिए कई जगहों पर उम्मीदवारों ने चुनाव को हल्के में लिया जिसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव में हार मिली।
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हालांकि बैठक में इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की गई कि ग्राम प्रधान के पद पर ज्यादातर गांव में बीजेपी के सामान्य कार्यकर्ताओं ने जीत हासिल की है। इसका फायदा पार्टी को अगले साल होने वाले विधान परिषद चुनाव में जरूर मिलेगा।
इसके साथ ही बैठक में बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की रणनीति भी तय की। अब पार्टी पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवारों का चयन करेगी और उसके बाद प्रदेश के 826 ब्लॉक में होने वाले ब्लॉक प्रमुख के पद पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा बाद में की जाएगी।