बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सूबे में हुई हिंसा के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल हिंसा के दौरान मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता अविजीत सरकार और हरन अधिकारी के परिवार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए बंगाल की ममता सरकार को नोटिस थमाई है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 मई का दिन निर्धारित किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के दर पहुंचे मृत बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजन
दरअसल, बंगाल विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद राज्य में हुई हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अविजीत सरकार और हरन अधिकारी के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताया है और मामलें की जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने की मांग की है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी नीत तृणमूल सर्कार को नोटिस थमाकर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के इशारे पर भाजपा बूथ कार्यकर्ता की ह्त्या की गई, पुलिस की भूमिका संदिग्ध है, मामलें की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी गठित की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी पेश हुए थे।
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आपको बता दें कि बंगाल चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही बंगाल में कई हिंसक घटनाएं घटी। इस दौरान कई बीजेपी कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया। जबकि बीजेपी कार्यकर्ताओं के घर और दुकानों में भी आगजनी-तोड़फोड़ की गई। बीजेपी का दावा है कि इन हिंसक घटनाओं में करीब एक दर्जन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है। बीजेपी का कहना है कि बंगाल में हुई यह हिंसा ममता बनर्जी के इशारे पर हुई।